आज एक नेता से मुलाकात हो गई,
संबंध अच्छे थे इसीलिए बात हो गई,
नेताजी गांधीजी की फ़ोटो लगाते थे,
शायद रोज रोज माला फूल चढ़ाते थे,
बोले आजकल भाग्य हमारा क्यों रूठा,
पहले हराभरा था अब तो हूँ पेड़ ठूठा,
अच्छे दिन कहा है आप मुझे बताओगे,
जब है ही नहीं तो कैसे मुझे दिखाओगे,
नेता जी जरा मजाकिया अंदाज में बोले,
मैंने कहा चमचगीरी छोड़ बुद्धि तो खोले,
दिन तो दिन होता है लाल और न पीला,
प्रशासनिक कड़ाई से यदि पैन्ट है गीला,
बस यही एहसास है जो मेरे लिए खास है,
हमतो भइया खुस है पर नेताजी उदास है।
लक्ष्य आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान,
नहीं चाहिए सत्ता और न साजो सामान,
हमें भी किसी का विरोध नहीं करना है,
बड़े ही सादगी से लक्ष्य की ओर बढ़ना है,
गांधीजी के अनशन से यदि देश आजाद,
तो समर्थन से हमारा लक्ष्य कैसे बरबाद,
गांधीगीरी दिन रात वोट के लिए गाते हो,
स्वार्थ सिद्ध होते ही उपदेश भूल जाते हो,
मेरा समर्थन करने से खुद ही कतराते हो,
सरकार क्रियान्वयन करे ज्ञान ही बताते हो।।
Tuesday, 3 May 2016
आज एक नेता से मुलाकात हो गई, संबंध अच्छे थे इसीलिए बात हो गई।
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