सनातन धर्म जो आदि काल से ब्रह्माण्ड में विद्यमान है जिसके ज्ञान विज्ञान से से संपूर्ण ब्रह्माण्ड प्रकाशमान है वही जनक है वही संघारक है। बौद्ध, ईसाई, जैन, सिख,मुस्लिम आदि धर्मों का। कुछ ने बैर नहीं किया तो वे आज भी व्यक्तित्व निर्माण कर रहे है और जिन्होंने विरोध अपनाया सनातन धर्म से वे आतंक पड़ोस रहे है समाज और संसार में। यदि कोई अपने दोनों हाथों से दोनों आँखों को बंद कर ले तो सूर्यास्त नहीं हो जाता उसी प्रकार झूठ छुपाने से मात्र झूठ छुपता है सत्य नहीं।सनातन का अर्थ होता है सदा बने रहने वाला जिसका न अंत हो और जो पैदा नहीं प्रगट हुआ हो वही विद्यमान है सनातन।
हिन्दू धर्म, वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है सनातन धर्म, सिन्धु नदी के पार के वासियो को ईरानवासी हिन्दू कहते, जो 'स' का उच्चारण 'ह' करते थे। उनकी देखा-देखी अरब हमलावर भी तत्कालीन भारतवासियों को हिन्दू और उनके धर्म को हिन्दू धर्म कहने लगे। भारत के अपने साहित्य में हिन्दू शब्द कोई १००० वर्ष पूर्व ही मिलता है, उसके पहले नहीं।
भारत और आधुनिक पाकिस्तानी क्षेत्र की सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, लिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख हैं।
गणेशकी, वैष्णव विष्णु की, शैवदेव - अनेकों शिव की, शाक्त शक्ति की और सौर सूर्य की पूजा आराधना करने के आधार पर अलग अलग पांच संप्रदाय है। विष्णु, शिव और शक्ति आदि देवी-देवता परस्पर एक दूसरे के भी भक्त होने की वजह से सारे सम्प्रदायों का ज्ञान और एकीकरण ही सनातन धर्म है। सनातन धर्म में विष्णु, शिव और शक्ति सब एक समान है। मात्र यही एक धर्म है जो बोलता है ईष्वर एक है, पूजा पद्धतियाँ अनेक जहा यदि भक्त पहलवान तो भगवान हनुमान है।
हिन्दू धर्म में कोई एक अकेले सिद्धान्तों का समूह नहीं है जिसे सभी हिन्दुओं को मानना ज़रूरी है। ये तो धर्म से ज़्यादा एक जीवन का मार्ग है। हिन्दुओं का कोई केन्द्रीय चर्च या धर्मसंगठन नहीं है और न ही कोई "पोप" या "पैग़म्बर" है। इसके अन्तर्गत कई मत और सम्प्रदाय आते हैं और सभी को बराबर की श्रद्धा दी जाती है, और सभी सम्प्रदायों की उत्पत्ति करने वाला को ही सनातन धर्म कहते है।
सनातन धर्म, हिन्दू-धर्म हिन्दू-कौन?
गोषु भक्तिर्भवेद्यस्य प्रणवे च दृढ़ा मतिः। पुनर्जन्मनि विश्वासः स वै हिन्दुरिति स्मृतः।।
अर्थात-- गोमाता में जिसकी भक्ति हो, प्रणव जिसका पूज्य मन्त्र हो, पुनर्जन्म में जिसका विश्वास हो! वही हिन्दू है।
मेरुतन्त्र ३३ प्रकरण के अनुसार "हीनं दूषयति स हिन्दु "
अर्थात जो हीनता या नीचता को दूषित समझता है और उसका त्याग करता है वह हिन्दु है।
लोकमान्य तिलक के अनुसार- असिन्धोः सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारतभूमिका। पितृभूः पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरिति स्मृतः।।
अर्थात्- सिन्धु नदी के उद्गम-स्थान से लेकर सिन्धु हिन्द महासागर तक सम्पूर्ण भारत भूमि जिसकी पितृभू अथवा मातृ भूमि तथा पुण्यभू पवित्र भूमि है, और उसका धर्म हिन्दुत्व है।
हिन्दु शब्द मूलतः फारसी है इसका अर्थ उन भारतीयों से है जो भारतवर्ष के प्राचीन ग्रन्थों, वेदों, पुराणों में वर्णित भारतवर्ष की सीमा के मूल एवं पैदायसी प्राचीन निवासी हैं। कालिका पुराण, मेदनी कोष आदि के आधार पर वर्तमान हिन्दू ला के मूलभूत आधारों के अनुसार वेदप्रतिपादित रीति से वैदिक धर्म में विश्वास रखने वाला हिन्दू है।
हिन्दू धर्म के सिद्धान्त के कुछ मुख्य बिन्दु:
1. ईश्वर एक नाम अनेक।
2. ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी है।
3. ईश्वर से डरें नहीं, प्रेम करें और प्रेरणा लें।
4. हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपर।
5. हिन्दुओं में कोई एक पैगम्बर नहीं है।
6. धर्म की रक्षा के लिए ईश्वर बार-बार पैदा होते हैं।
7. परोपकार पुण्य है, दूसरों को कष्ट देना पाप है।
8. जीवमात्र की सेवा ही परमात्मा की सेवा है.
9. स्त्री आदरणीय है।
10. सती का अर्थ पति के प्रति सत्यनिष्ठा है।
11. हिन्दुत्व का वास हिन्दू के मन, संस्कार और परम्पराओं में।
12. पर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकता।
13. हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी।
14. आत्मा अजर-अमर है।
15. सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र।
ॐ भूर्भुव स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हिन्दी में भावार्थ - उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे!
16. हिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैं।
17. हिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है।
18. हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है।
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