कहते है वक्त बड़ा बलवान होता है। कल तक जिनके पास हवाई जहाज हुआ करते थे आज उन्हें पासपोर्ट के लाले पड़े है। एक समय की बात है सुबह सुबह का समय था सूरज अपनी लालिमा लिए हाजिर हो रहा था, सामने शीशे की दीवारे थी, दिवार से देखने पर एयर पोर्ट पर खड़ी हवाई जहाजों को देखता हुआ सफ़ेद पैंट शर्ट जूता जैकेट के साथ काले चश्मो में पीछे की तरफ बाल झाड़े हुए जिसके अगल बगल में खड़ी अनेकों एयर होस्टेज कातिल अदाओं के साथ मुस्कान बिखेर रही थी और एक शख्स एक के बाद एक सिगरेट की कस लगाये जा रहा था। बगल में खड़े एक व्यक्ति से नहीं रहा गया सोचा, मैं भी थोड़ी इम्प्रेसन बनाऊ इन बालाओं के बीच तो बड़े प्यार से उस शख्स से बोला, भाई क्या करते हो? शख्स ने कहा कुछ नहीं बस मस्ती। फिर तो उस व्यक्ति के हौसले को दाग़ देना होगा, पता है उसने क्या कहा, उसने कहा ये जो एक के बाद एक सिगरेट दगाये जा रहे हो यदि एक सिगरेट की कीमत 5 रुपये भी होगी! तभी शख्स ने कहा पांच नहीं पांच सौ, फिर व्यक्ति हिसाब लगाते हुए बोला ठीक है पांच सौ, यदि एक दिन में पचास सिगरेट भी पीते हो तो पुरे साल में 18250 सिगरेट यानि 9125000 रुपये प्रतिवर्ष और आप की उम्र लगभग 50 साल होगी! शख्स बोला हाँ, तो आप जो हवाई जहाज देख रहे हो वह आपकी होती। शख्स ने कहा पता है वह हवाई जहाज किसकी है तो व्यक्ति बोला हाँ हाँ श्री विजय माल्या साहेब की। फिर शख्स बोला आप यदि आप दिन में एक भी पांच रुपये वाली सिगरेट पीते तो ऐसी फटीचारों जैसे ख्यालों से ऊपर उठजाते और ये घिसा पीटा ज्ञान मुझे नहीं देते,जिस माल्या को जानते हो वह विजय माल्या आपके सामने है। फिर तो व्यक्ति का पूरा शारीर नीला पड़ गया और आ गया गिड़गिड़ाहट की अवश्था में।
एक दिन जब विजय माल्या सुबह सुबह उठकर अखबार पढ़ता है तो उसमे लिखा होता है कि, प्रिय विजय माल्या! आप जहा भी जैसे भी हो भूखे नंगे प्यासे आपकी अवश्था से मुझे कोई कष्ट नहीं परन्तु अतिशीघ्र भारत वापस आ जाओ, आपके बगैर किंगफिशर कैलेंडर की बालाओं की हालात इस प्रकार बेहाल है जैसे भगवान श्री कृष्ण के बिना गोपियों का न खाती है न कुछ मेकअप करती है और यदि कोई उन्हें समझता बुझाता है। तो बस दिन रात यही बोलती है उद्धव मन न भयो दस बीस, एक हुतो सो गयो श्याम संग को अवराधै इस।
भाई आपके बगैर बेवड़ों का भी बड़ा बुरा हाल है वेचारे सुबह होने से पहले ठेके पर आँख मलते हुए पहुच जाते है, ठेका खुला नहीं देखकर थोड़ा घबराते है फिर जोर जोर से आवाजें लगाते है उठो भाई उठो! सुबह हो गई,कोई प्रतिक्रिया नहीं देख जोर जोर से सटर पर लात लगाते है फिर अंदर से दुकानवाला गलियां देते हुए बोलता है बढ़ा साले पैसे तब बेवड़े के मुँह पर मुसकान आती है और बड़े प्यार से भइया भइया कहके बोलता है देदो भाई एक पौवा, पौवा पाते ही आधा पीता है आधा जेब में रखकर घर पहुचता है वहा बीबी एक मुह सौ सौ गालियां देते हुए बोलती है किस्मत फूट गई थी मेरी जो इस बेवड़े से पाला पड़ा, फिर बेवड़ा मुह पर अजीब सा मुस्कान लिये गिड़गिड़ाता है कि देखो सुबह सुबह जागिंग करने निकला था रास्ते में ठेका खुला था सोचा दिन में नहीं जाउगा वर्ना यार दोस्त मिल जाएंगे और ज्यादा पिला देगे इसलिए थोड़ी सी लेकर आया हूँ फिर नहीं जाऊँगा। बीबी को दया आ जाती है बोलती है। आप अपनी नहीं तो बच्चों का ख्याल करो! अगर आप को कुछ हो गया तो इनका और मेरा क्या होगा। पति दोनों हाथों से कान पकड़कर कसमे खाता है कि आइन्दा से ऐसा नहीं होगा परन्तु जहा बीबी अनभुल हुई नहीं कि फिर वही कहानी।
आ जाओ भाई माल्या आपने तो बड़े महान महान कार्य किये हो ये तो भारत है यहाँ तो जेएनयू में देशविरोधी नारे लगानेवाले जो खुद रोजगार लायक नहीं बन पाये वे जनता को रोजगार दे रहे है। जिनके माँ बाप सब्सिडी के पैसों से बच्चे पाले वे दूसरों को ज्ञान दे रहे, सौ सौ रुपये के लिए तरसने वाला हवाई जहाज का सफ़र पञ्च तारा होटलो का खाना खा रहा है। पिट गए पिटनेवाले पगले एनआईटी में बड़ा प्यार उमड़ा था भारत माँ का। चले थे ध्वजारोहण करने हक़ ज़माने कश्मीर पर भारत का। पुलिस ने ऐसी टाँगे तोड़ी की परीक्षा भी देने लायक नहीं बचे। ऊपर से इलाज के खर्च से घरवाले परेशान।
आ जाओ भाई जब न बिगड़ा माया, मुलायम, लालू, जयललिता,राजा चितंबरम, कलमाणी,जिंदल इन्दल आदि पूँजीपतियों का न बिगाड़ा पिटाई करनेवालों का और न देशद्रोही नारा लगानेवालो का तो आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा बस आप आ जाओ!
- आपका बड़ा भाई सुब्रतो राय।
तिहाड़ जेल
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