Thursday, 28 April 2016

दिल,को,झकझोर,देनेवाला,इतिहास जब हिन्दू ठगा गया धर्म के नाम पर वर्ना हिंदुओ से उदार कौन??

गजब की आग लगी थी घर में, लोग आये और हाल चाल पूछकर चले गए। अचानक एक दोस्त आया और पूछा क्या क्या जला मैंने बोला मेरे सिवा सबकुछ जल गया, तब वह बड़े प्यार से बोला पगले कुछ नहीं जला जब तू बच गया तो उठा कलम सब वापस आ जायेगा।

कहानी उस समय की है जब  ख़िलजी, तुग़लक़, ग़ोरी, सैयद और लोदी आदि विदेशी मुसलमान तेजी से उत्तर भारत को गुलाम बना रहे थे। उस समय दक्षिण भारत के "विजयनगर साम्राज्य"  300 में अधिक वर्षों से 1336 से 1665 तक दक्षिण मे हिन्दू राज्य का अपना वर्चस्व था। इसी विजयनगर साम्राज्य के राजा थे "कृष्णदेव राय" जो महान प्रतापी और धार्मिक प्रवित्ति के थे।

राजा कृष्णदेव राय की 1529 मे मृत्यु के 12 साल बाद "राम राय" विजयनगर" के राजा बने । रामराय अलग तरह के सेक्युलरवादी थे, सर्वधर्मसमभाव और हिन्दू-मुस्लिम एकता मे विश्वास रखने वाले रामराय ने दो गरीब अनाथ बेसहारा मुस्लिम भाइयों को गोद ले लिया । इन दोनो मुस्लिम भाइयों को न सिर्फ अपने बेटे का दर्जा दिया बल्कि उनके लिये महल प्रांगण मे ही मस्जिद भी बनवा दिया।

दोनों भाई भी राजा का सम्मान देखभाल ऐसा करते थे, लगता था कि राजा ने इन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया हो, वे लोग भी पूजा करना तिलक लगाना, हिन्दू संसकारों को भी ऐसा निभाते थे जैसे बहुत बड़े साधू संत हो दोनों भाई। राज्य में चर्चा होने लगी कि राजा रामराय के प्रताप से अब पूरी धरती के लोगों में धार्मिक मतभेदों का स्थान ही नहीं बचेगा धीरे धीरे राज्य के अन्य लोग भी सेक्युलरिज़्म का ज्ञान सीखने लगे और फिर क्या मंदिर क्या मस्जिद सारे सेक्युलर नमाज भी अदा करने लगे।

"विजयनगर साम्राज्य" की सैन्य शक्ति मे भी कोई कमी नही आई थी, कहा जाता है उनकी सेना मे 2 लाख सिपाही थे । उनकी तरफ आँख उठाकर देखने का मतलब आत्महत्या से कुछ कम नहीं, राज्य से बैर लेने का मतलब शेरों के झुण्ड में हिरन का प्रवेश ही था।

बाबरनामा, तुज़के बाबरी सहित फ़रिश्ता, फ़ारस के यात्री अब्दुर्रज्जाक ने "विजयनगर साम्राज्य" को भारत का सबसे वैभवशाली, शक्तिशाली और संपन्न राज्य बताया था। जहां हिन्दू-बौद्ध-जैन धर्मामलंबी बर्बर मुस्लिम आक्रान्ताओं से खुद को सुरक्षित पाते थे। जिनके दरबार के 'अष्ट दिग्गज' में से एक थे महाकवि "तेनालीराम", जिनकी तेलगू भाषा की कहानियों को हिन्दी-उर्दू मे रूपांतरित कर "अकबर-बीरबल" की झूठी कहानी बनाई जा चुकि है।

ऐसे राजा रामराय के शासनकाल मे अकेले विजयनगर से जीत पाने मे असमर्थ मुस्लिम आक्रान्ताओं ने 1567 में "जिहाद" का नारा दिया और एक साथ अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा और बीदर के मुस्लिम राजाओं ने एक साथ विजयनगर पर हमला कर किया। इस युद्ध को राक्षस-टंग़ड़ी' या "तालीकोटा का युद्ध" कहा जाता है।

4 मुस्लिम राज्यों के सम्मिलित आक्रमण के बावजूद विजयनगर युद्ध जीत चुका था, सारे मुस्लिम हतास निरास मान चुके थे कि युध्द करना गलत निर्णय हुआ मुस्लिमों को भय सता रहा था कि कही आधी छोड़ पूरी पर धाये आधी बचे न पूरी पाये। परन्तु एक सेक्युलर सोच की, एन मौके पर राजा रामराय के गोद लिये दोनो लड़कों ने रामराय पर पीछे से वार कर दिया और कत्ल कर दिया ।

जिस "शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य" पर 300 साल तक विदेशी आक्रांता गिद्ध आंख उठा कर देखने की हिम्मत नही कर सके थे, उसे एक सेक्युलर सोच ने पल भर मे खंडहर मे तब्दील कर दिया ।

रामराय के मारे जाते ही मुस्लिम सेनयों ने भयंकर मार-काट मचा दिया, लगातार 3 दिनों तक विजयनगर के स्त्री-पुरुष-बच्चे बेदर्दी से कत्ल किये गये, जिसकी सांख्या 1 लाख से ज्यादा बताई जाती है, विजयनगर को आग लगाकर नष्ट कर दिया गया  । इस प्रकार एक सेक्युलर सोच ने समृद्ध-सक्षम हिन्दू साम्राज्य का अंत कर दिया ! इसी महान साम्राज्य के खंडहरों पर खड़ा है आज का शहर "हम्पी", जिसे यूनेस्को ने विश्व धरोहर विरासत के रूप मे दर्ज किया है।

इतिहास गवाह है --अपने माता-पिता सहित पूर्वजों के माथे के कलंक ये सेक्युलर प्राणी जन्म ही कुल-खानदान, स्वधर्म, मातृभूमि का नाश करने के लिये लेते हैं।

निखरती है शख्सियत मुसीबतों से लड़कर ओ झरना ही किस काम का जो चट्टानों से टकरा न सकें!!

जागो हिंदुओ जागो!

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