गांधीजी के विचारों से,
सौ गुनहगार छूट जाय,
पर एक बेगुनाह को फाँसी,
नहीं होनी चाहिए।
ऐसा कैसे हो सकता है,
जब सौ कुत्ते मिलकर,
एक शेर को मार सकते है,
तो सौ गुनहगार मिलकर,
एक बेगुनाह को फाँसी पर,
हल्ला मचा डार सकते है।
कानून तो कानून है,
किसी के बाप का अघिकार नहीं,
संविधान से सिर्फ न्याय ही झलके,
किसी बापू का विचार नहीं,
पतिव्रता को वस्त्रहीन करनेवालों,
बेश्या का श्रृंगार नहीं होना चाहिए,
झूठे पहाड़ पर जिन्दगी गुजरनेवालों,
सच का बलात्कर नहीं होना चाहिए।।
-आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान।
Friday, 29 April 2016
कानून तो कानून है, किसी के बाप का अघिकार नहीं, संविधान से सिर्फ न्याय ही झलके, किसी बापू का विचार नहीं।
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