Saturday, 30 April 2016

सोचें कि अचानक से कभी रात नहीं होती और न अचानक कभी भी दिन निकलता है

क्यों नहीं फ़लक से सितारे गिरते है जमीन पर।
वो तो बस यूँ ही किया कुछ भी नहीं,
मैंने तो कुछ किया पर ओ मेहरबान नहीं हमपर।।
ऐसे ही ख्यालों में गुनगुनाती रही ये जिंदगी,
कभी गैरों से कभी अपनों से लुभाती रही ये जिंदगी।
बिनमोल जिंदगी में अनमोल वे प्रयास है,
जिनकी वजह से किसी की भी सवँर जाती है ये जिंदगी।।

सोचें कि अचानक से कभी रात नहीं होती
और न अचानक कभी भी दिन निकलता है
न तो अपनी समस्याएं कभी अचानक आती
और न कभी ताली या चुटकी बजाके जाती है
आवश्यकताओं का अम्बार पनफता है मन में
समस्याओं का उदय धीरे धीरे होता है जन में
बढ़ा अपनी कोशिशें और थोडा इंतजार कर
कभी भी कोशिशों को अनायास ना बेकार कर
याद रहे बेवजह परिदों को पर नहीं निकलते
हौंसला भर समुद्र ही नहीं आसमां को पार कर।।

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