Friday, 29 April 2016

हे भाई नौटकीबाज!! मेरी बेरोजगारी पर रहम करो। माफ़ करदो दिल्ली को फिरसे ऐसी गलती नहीं होगी।

नरेंद्र मोदी जी के विचार कि मेरी लड़ाई गगोई से नहीं गरीबी से है,सेक्युलरिज़्म पर बहस होनी चाहिए, इंडिया फर्स्ट होना चाहिए परन्तु देश का कोई भी नेता इन चुनौतियों को स्वीकारने की हिम्मत नहीं रख पाया। क्योंकि राजनीति का स्तर इतना नीचे गिर गया है कि अब नेताओं का दुश्मन भ्रस्टाचार, बेरोजगारी,अशिक्षा,अन्याय या गरीबी इत्यादि नहीं अब तो नए नए दुश्मन हो गए है जो कोई व्यक्ति या पार्टी होता है। उसी तरह जनता के विचार भी परिवर्तित हो चुके है क्योंकि नेतृत्व का असर ही कुछ ऐसा होता है।

इस मार्च एन्डिंग में, जीवन की बैलेंस शीट जांचने की इच्छा हुई तो पाया कि प्रेम ,स्नेह, आत्मीयता , भाईचारा,कर्तव्यनिष्ठा के खाते ही गायब हैं। मैंने मन के 'मुनीम 'से पूछा कि चेक करो, तो वो बोला - सर जी , वर्षो से इनके साथ कोई लेनदेन हुआ ही नहीं...! ना जाने कितने रिश्ते ,ख़त्म कर दिये इस भ्रम ने कि मैं ही सही हूँ, और सिर्फ़ मैं ही सही हूँ....!! हे! मजाक लगरहा है न, परन्तु सच्चाई यही है। इसमें दोष हमारा या आप का नहीं विगत दस वर्षों तक श्री मनमोहन जी का नेतृत्व मिला जो वेचारे राजीव गांधी के समय दिए नारे "बेटी है सरदार की देश के गद्दार की! बेटी है सरदार की कौम है गद्दार की!!" के लिए वफ़ादारी साबित करने में गुजार दिए। वफ़ादारी की हद हो गई लोगों को इस वफ़ादारी से घुटन होने लगी तो अन्ना साहेब कुछ लोगों के साथ अनशन पर बैठ गए परन्तु हुआ क्या? मैं बताता हूँ।

अनशन पर बैठे अन्ना जी, प्रशांत भूषण, केजरीवाल और योगेन्द्र यादव को रात में जब खूब तेजी से भूख लगी तो इन लोगों ने जनता की चोरी से रोटी पकाई गलती से आटा इतना था कि रोटी चार की जगह पांच बन गई, अब प्रॉब्लम ये की एक ज्यादा रोटी किसको मिले, इसलिए इन्होंने निर्णय लिया कि चलो सोते है जो सबसे सुन्दर सपना देखेगा उसे ही एक ज्यादा रोटी मिलेगी और हुआ ऐसा ही सभी लोग सो गए, अब पेट में भूख और नीद परन्तु मानवता भी कोई चीज होती है। चार घंटे बाद जगे।

सबसे बड़े अन्ना साहेब ने अपना सपना सुनाया कि भारत को भ्रस्टाचार से आज़ादी मिल चुकि है लोग नारे लगा रहे है "अन्ना नहीं है आंधी है ये आज का गांधी है" हम सभी लोग आजादी के जस्न में बैठे है, बार बलाए डांस कर रही है, केजरीवाल नेहरू जी का रोल अदा कर रहा है भूषण बाबा साहेब का तभी कश्मीर को अलग करने की मांग लिए नारे लगे इतने में मेरी आँखे खुल गई।

फिर दूसरे सीनियर भूषण साहेब ने अपना सपना सुनाया कि मैं यूपी का आगामी चुनाव जीतकर CM बन चुका हूँ मुलायम सिंहासन है, तीनो जया के साथ रेखा का नृत्य हो रहा है माया मुझे चम्मच से राबड़ी खिला रही है तभी लालू यादव का राक्षसी रूप देख मैं डर गया और नींद खुल गई।

अब बारी आई केजरीवाल साहेब की उन्होंने बताया मैं तो बड़े बुरे फंस गया लालू लाठी लेकर आया और मुझे आठ दस लाठी धड़ाधड़ जमा दिया। मैं हैरान परेशान कापने लगा डर बस बोला साले मैं पूरा चारा खा गया कभी अनशन नहीं किया तब भी जे पी साहेब ऐसा ही ड्रामा करते थे और तू रोटी नहीं खा सकता चल खा। इतने में फिर से लाठी उठाया मेरी तो सब कुछ फट गई इसलिए पांचो रोटी खा गया।

अन्य सभी लोगो ने बोला जब ऐसी बात थी तो हमें जगाया क्यों नहीं तो केजरीवाल बोला जगाता कैसे अन्ना जी आज़ादी का जस्न मना रहे थे, भूषण जी यूपी के CM दरबार में राबड़ी चाट रहे थे, मैं ही बेवकूफ अकेला लाठी खा रहा था। अन्ना जी बड़े भावुक आदमी बोले भाई कोई बात नहीं सब लोग शांत हो जाओ वर्ना जनता जाग जायेगी।

केजरीवाल ने अपने कर्मो से स्पष्ट कर दिया है इनका दुश्मन भ्रस्टाचार नहीं मोदी,बीजेपी और आरएसएस है उसी तरह भारत के शेष नेताओं का भी रुख क्लियर है, परन्तु आप लोगों का जिसे लड़ना है बेरोजगारी भ्रस्टाचार गरीबी और असमानता से जिसको इंडिया फर्स्ट को अपनाना है, यदि इंडिया फर्स्ट के साथ सेक्युलरिज़्म जिन्दा रह सकता है तो जिए यदि इंडिया फर्स्ट साम्प्रदायिकता से होता है तो हमें उससे भी परहेज नहीं।

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