Thursday, 28 April 2016

हजारों साल हिंदुओ को ग़ुलामी झेलने से जितनी क्षति हिंदुओ की हुई उससे कही ज्यादा मानवता को !!

आप चाहे तो फिर से क्रांति आ सकती है। आज इस हिन्दुस्तान में बहुत बड़े बड़े विद्वान है जो सूरज की तुलना चमकते हुए जुगनूं से, तालतलैये के जल की तुलना गंगाजल से, पर्वत पर उगे खरपतवारों की उचाई बटवृक्षों के सामान बताने वाले और करके दिखाने वालों की कमी नहीं। इक्षा आपकी भी है, तर्क भी है, स्वीकार कर सकते है और नहीं भी कर सकते है।

इसी हिन्दुस्तान में अंग्रेजों ने भी शासन किया और मुग़लो ने भी, शादियां बीत गई परन्तु शासक एक किनारे और हिंदुत्व दूसरे किनारे, कभी हिंदुओ ने अपनेआप को गुलाम स्वीकार नहीं किया। मैं उन कायरों की बात नहीं कर रहा हूँ जिनकी आज भी औलादें सेक्युलर बन सत्ता का सुख भोगती रही। मैं उनकी बात कर रहा हूँ जिनकी वजह से आज भारत से अंग्रेज गए। यदि इन हिंदुओ ने ग़ुलामी स्वीकार की होती तो आज न कोई PM होता और न कोई CM  !!

इन सब घटनाओं के बीच हमें कुछ नुकसान हुआ तो मेरा जबाब है नहीं परन्तु भारत के क्षेत्रफल को जरूर नुकसान हुआ वह भी उतना महत्वपूर्ण नहीं जितना कि मानवता को नुकसान हुआ क्योंकि हिंदुत्व पुरे विष्व का कल्याण चाहता है, इसलिए भारत के विभाजन से अघिक दुःख मानवता के विकास का रुकना है।

आर्यभट्ट का गणित, भास्कराचार्य का बीज गणित, सुश्रुत का शल्य चिकित्सा, नागार्जुन का रसायनशास्त्र, बराहमिहिर का खगोलशास्त्र, कपिल ऋषि का विज्ञान, भारद्वाज का विमानशास्त्र और कड़ाद का अणु विज्ञान जैसा आदि के ज्ञान से जो हिंदुओ और पुरे मानवता का विकास रुका वह अभी भी आसानी से पूर्ण होता नजर नहीं आ रहा है, क्योंकि भारत का हिन्दू उलझा रहा इन विदेशी आक्रमणकारियों से अपने को सुरक्षित करने में और अपने ज्ञान विज्ञान को मानवहित में प्रचारित प्रसारित नहीं कर पाया।

आज भी समय है और मैं निवेदन करूँगा उन देशद्रोही गद्दारों से कि हिंदुओ को समझें और उन्हें मानवता के लिए मानव विकास से रोकें नहीं उन्हें प्रोत्साहित करें! दुःख तो है भारत के टुकड़े होने का परन्तु और टुकड़े होने के मार्ग को छोड़े समझें और विष्व को आगे बढ़ने दें!!

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