महाभारत में जब अर्जुन को भ्रम हुआ तो श्रीकृष्ण ने उन्हें कर्तव्य मार्ग पर चलने का ज्ञान दिया इस दुनियां में कर्म से बड़ा कुछ भी नहीं शख्सियत तो वसियत से भी मिलती परन्तु शोहरत और अकल के लिए कर्तव्य जरुरी है। जब कर्ण के रथ का पहिया टूट गया तो अर्जुन ने बाण चलाना बंद कर दिया तो श्रीकृष्ण ने कहा बाण चलाओ भूल जाओ की कर्ण रथ पर है या निहत्था, कर्मभूमि का यही ज्ञान है। आज भी भारत में अर्जुनों की कमी नहीं, कमी है तो उनमें पल रही सेक्युलरवादिता और अज्ञानता का जो हमें आज़ादी के नाम पर ग़ुलामी के मार्ग पर ले जा रही है। अर्जुन बनने से पहले श्रीकृष्ण की बातें सुने वर्ना कर्ण का बध करना आपकी औकात नहीं।
जो लोग हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैनी बौद्धिस्ट आदि अपने को बोलते है वे एक बार अपने को सिर्फ हिन्दुस्तानी बोल कर देखें कितना अच्छा लगता है। ऐसा ज्ञान हम सिर्फ भारतवर्ष के कुछ राज्यों को ही दे सकते है। दम है तो कश्मीर में केरल में दे कर दिखाएँ जहा मुस्लिमों की संख्या अधिक है। सर के बाल नहीं शरीर का सर नोच दिया जायेगा। कश्मीर से पांच लाख हिंदुओं को बेरहमी से खदेड़ा गया तब ऐसा ज्ञान किसी ने नहीं दिया या उस समय अच्छा नहीं लगता था ऐसा ज्ञान यह समय स्थान जाति धर्म देखकर ही दिया जा सकता है अन्यथा बलात्कार हो जायेगा यह बात ज्ञान देनेवाला भलीभाँति जानता है।
मजे की बात यह है कि एक बार ऑस्ट्रेलिया में एक इमाम ने कहा सरिया कानून यहाँ के मुस्लिमों के लिए संविधान में संशोधन कर लागू होना चाहिए, तो वहा की तत्कालीन PM महोदया ने कहा जिसे सरिया कानून चाहिए वह देश छोड़कर वहा चला जाय जहा उसे सरिया कानून मिलता हो, फिर वहा का मुस्लिम समुदाय एक साथ प्रस्ताव लाकर बोला इमाम पागल हो चुका है इसकी बातों को तवज्जो नहीं दिया जाना चाहिए। अमेरिका को ही ले लीजिए वहा पर भी धर्म के नाम पर कोई अलग से कानून नहीं है जिसे वहा का कानून स्वीकार नहीं उसे वहा रहने का अधिकार नहीं।
भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ मुस्लिमों के लिए कानून अलग है कश्मीर के लिए अलग और उससे भी अधिक मजाक यह कि कामन सिविल कोर्ट नहीं चाहिए परन्तु आरक्षण चाहिए जिसे पूरा करने के लिए सच्चर कमेटी भी बनाई गयी और कुछ लोगों ने घोषणाए भी कर दी। ये तो अल्पसंख्यक होने का अधिकार है माँगते रहो जब तक बहुसंख्यक का दम न घुट जाय उसके बच्चे भूखे नंगे सड़क पर न आ जाय। जब बहुसंख्यक हो जाओ तो कश्मीर केरल और वेस्ट बंगाल जैसा हत्या करने पर खड़े हो जाओ। इन सबसे बेखौफ भारत में कम्युनल बिल भी लाया जा चुका है जिसका मतलब बेख़ौफ़ हत्या करने की आज़ादी।
सऊदी अरेबिया है जहा लोग रोजीरोटी की तलास में जाते है वहा आप घरों में शंख या घंटी नहीं बजा सकते, रोड पर तिलक या रक्षा बाँधकर नहीं घूम सकते, जेब में किसी हिन्दू देवीदेवता का फोटो या मूर्ति नहीं रख सकते यदि रखे हुए पकड़े गए तो सबसे पहले नौकरी जायेगी और हो सकता है हाथ भी काट लिया जाय। एक भारत है जहाँ आप मस्जिद बनाओ चर्च बनाओ इतने पर भी ख़ुशी न मिले तो मंदिर से सटकर मस्जिद बनाओ और भी मजा लेना हो तो मंदिर में मस्जिद बनाओ फिर भी दिल ना माने तो मंदिर के ऊपर मस्जिद बनाओ पूरी आज़ादी है लोग बोलेंगे ये नागरिकता की आज़ादी है।
प्रॉब्लम मुसलमानों में नहीं उनका मत तो स्पष्ट है मुख्य प्रॉब्लम तो हिंदुओ में है, मुस्लिमों ने तो इतिहास में और वर्तमान में भी अपना रुख साफ किया है अब आप बेवकूफ़ी पर उतारू हो तो उसमें उनका क्या दोष? आप अपने को दलित बैश्य यादव क्षत्रिय ब्राह्मण सूद्र कहकर अलग रखना चाहते हो तो जिसे लाभ मिलेगा वह तो पिटेगा ही जब आप खुद पिटने के लिए तैयार बैठे हो, नेताओं का क्या ये तो कही भी किसी भी देश में जाकर वहा की नागरिकता ले कर रह सकते है और नहीं तो जैसे लोग बोलते है कि गांधी जी ने जैसे नेहरू जी को ब्राह्मण बनाया वैसे ही फिर ये मुस्लिम बन जाएंगे और सारी गतिविधिया तो हिन्दुविरोधी कर ही रहे है चाहे शादी हो संस्कार या समर्थन सबकुछ तो हिन्दू विरोधी ही हो रहा है, सचेत आप को होना है और किसी को नहीं।।
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