इतना मुश्किल भी नहीं कि किसी को खुश करने के लिए किसी को क्षति पहुँचाई जाय, हाँ बगैर क्षति पहुँचाए बगैर नाराज किये दूसरे को खुश करने का रास्ता थोड़ा परिश्रमभरा जरूर होता है, अफसोस परिश्रम करना चाहता कौन है इस दुनियां में?
हमें याद है अशफाकउल्ला खान के फाँसी की रात के वे शब्द जो उन्होंने राम प्रसाद विस्मिल से कहा था कि यार जाऊँगा खाली हाथ मगर ये दर्द दिल में रह जायेगा कि कब हिन्दुस्तान आजाद वतन कहलाएगा !! यार विस्मिल तू तो हिन्दू है कहता है पुनर्जन्म लेकर फिर आऊँगा, फिर आऊँगा और भारत माता को आजाद कराऊँगा, मेरा भी जी करता है कि मैं भी कह दूँ, लेकिन मजहब से बध जाता हूँ, मुसलमान जो हूँ, पुनर्जन्म की बात तो नहीं कर सकता, परन्तु यदि खुदा मिल जायेगा कही तो अपनी झोली फैलाकर उससे जन्नत के बदले पुनर्जीवन ही माँगूँगा।
उन क्रांतिकारीयों के दिल में हिन्दुस्तान से प्यार था एक ही सपना था सिर्फ और सिर्फ आजादी उन्हें नहीं बनना था नेता, नहीं चाहिए थी पीएम या सीएम की कुर्सी, वो तो पगले थे, क्या करते कुर्सी लेकर, उनमे इतनी चतुराई चालाकी जो नहीं थी,उन्हें तो ख्याल ही नहीं था कि जब मजहब अलग अलग है तो आजादी की लड़ाई एक साथ क्यूँ? वे न तो नितीश थे और नही अरविंद केजरी वे तो थे, आजादी के दीवाने। जो कहना था जो करना था वे कर गए अब तो बस यादें ही है उनकी, दिल कहता है अनायास ही पगले चढ़े फाँसी पर, जब कुर्सी के संकीर्ण विचारवाले जाति धर्म के नेता लालू ममता कांग्रेस कम्युनिस्ट और मायावती आदि को ही देनी थी।
रह रह ख्याल ये भी आता है कि ऐसे नेताओ का उदय क्यों होता है? क्यों लोग अपने ससुरालवालों से अत्यधिक खुश रहते है? शायद इसलिए कि ससुराल में साली साले ससुर सास सब दामाद की खूब बड़ाई खूब प्रसंसा करते है, दामाद की हर बात बड़े प्यार से उत्सुकताबस सुनते और दामाद का पूरा ख्याल रखते है, कि कही किसी बात पर मेहमान नाराज न हो जाय! बस इतनी सी बात पर दामाद खुश रहता है और सबसे प्रिय ससुरालवालों को समझने लगता है। परिणामस्वरूप उसे मिलती है वह पत्नी जिस पर कोई कोई टंच भी मारता कि, एक बार पत्नी ने गुस्से में पति से कहा तुमसे तो अच्छा होता कि मेरी शादी किसी राक्षस से हो जाती, तो पति ने कहा पगली खून के रिस्ते में शादियां करने का रिवाज़ हिंदुओ में नहीं है। इस बात की पुष्टी मैं नहीं करता परन्तु कहने का मतलब लाख परेशानीयों के बाद भी प्रसंसा करनेवाला बात को सुनने माननेवाला अत्यंत प्रिय होता है।
आपके ठग्गू नेता भी आपको इसी तरह बेवकूफ बनाते है कोई अमीरों को गरीबों का दुश्मन, कोई मालिकों को मजदूरों का दुश्मन, कोई ब्राह्मणों को दलितों का दुश्मन, कोई रक्षा करनेवाले सैनिकों को कश्मीरियों का दुश्मन तो कोई हिंदुत्व को हिन्दुस्तान का दुश्मन बताकर आपको को उल्लू बनाता है लगे हाथ आपकी प्रसंसा बड़ाई हमदर्दी सभी कुछ आपपर न्यौछावर कर देता है और सबकुछ भूल जब उसे वोट दे देते है तो शुरू हो जाता है आपका शोषण। आज नेताओं के पास अरबों खरबो की संपत्ति है, नेता बनने से पहले किसका बाप पूँजीपति था? जिसका लखपति था, वो आज खरबो में खेल रहा है। यदि कोई बोले कि श्री अटल जी, मोदीजी, सुरेश प्रभु, मनोहर परिकर आदि के पास क्या है तो आप बोलोगे ये सब अपवाद है।
प्रॉब्लम आपकी समझ में नहीं प्रॉब्लम समझकर ना समझ बने रहने की है फिर तो अच्छा लगता होगा आड़ इवन दिल्ली का, पूजा हवन पर प्रतिबंध का, मंदिरों पर से लाऊड स्पीकर हटाने का आदि। इसमे बुराई कुछ भी नहीं वह तो आपकी इच्छा है लेकिन एकबार समय मिले तो अवश्य सोचें कि आपकी आनेवाली संतानों का क्या दोष क्यों आप अपने निजी स्वार्थों के लिए उनका भविष्य अन्धकारमय कर रहे है??
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