Wednesday, 1 June 2016

अपने लिए नहीं अब यारोँ, देश की खातिर चलना होगा।।

वियोग छुपाकर हँसना होगा,
दर्द तुम्हे सब सहना होगा,
हार जीत की फ़िक्र किये बिन,
संघर्ष तुम्हे अब करना होगा।
भारत माँ को लूट रहे जन,
जंग हटा दो हथियारों से,
सूरज की परवाह किये बिन,
रोशन कर दो उजियारों से,
खुद की चिंता छोड़ हे प्यारे,
घनघोर घटा में चलना होगा।
बिना जले रोशन ना होगा,
भारत माँ का अंधियारा,
घोटालेबाजों के युग में,
जलना है कर्तव्य तुम्हारा,
दीपक बिना जले इस जग में,
कहा उजाला करता है,
दीपक के जलने पर यारों,
लाख पतिंगा मरता है।
जीवन का उद्देश्य समझ लो,
परोपकार का भेष पहन लो,
दर्द रोक ना पाऊं दिल में,
इसको आँखों में बहना होगा,
अपनी खातिर नहीं सही पर,
देश की खातिर जलना होगा।
सफ़र चलोगे लगेगा कांटा,
पर पहनके जूता फिक्र नहीं,
कठिन सफ़र है पग में छाले,
छालों को भी सहना होगा,
अपनों ने छालों को दिया है,
गिला न उससे करना होगा,
अपने खातिर सब जलते है,
हमें न खुद पर जलना होगा,
अपने लिए नहीं अब यारों,
सबकी खातिर गलना होगा।
घनी घोर अंधियार घटाएं,
डगर न सूझे पर पाव बढ़ाये,
लालच की अब इस बगिया में,
फूल पर हम क्यों दिल मंडराएं,
फूल उन्हें कर देंगे मुबारक,
लालच पे जिनकों मरना होगा,
दर्द में जीवन फूल में काँटों को,
अपना ख़ुसबु चुनना होगा,
अपने लिए नहीं अब यारोँ,
देश की खातिर चलना होगा।।

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