Tuesday, 26 July 2016

ब्राह्मणत्व से हिंदुत्व और हिंदुत्व से पूरे ब्रह्माण्ड को अपने में समाहित करें..!!!

आप सोच रहे होंगे आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान की बात करते करते मैं सर्व ब्राह्मण उत्थान समिति की बातें कैसे करने लगा? सबसे पहले यह समझना होगा कि आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान की परिकल्पना है कि प्राकृतिक संविधान जहाँ किसी में भी भेदभाव नहीं हो जैसे आँधी या सुनामी आती है तो क्या प्रकृत यह देखती है कि सामने दलित, ब्राह्मण, हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, शेर, हाथी, कुत्ता या बिल्ली है वह सबके साथ समान व्यवहार करती है। लेकिन एक बात है जंगल में हिरन भी रहता है शेर भी, स्वाभाविक है कि शेर हिरन का शिकार करेगा तो क्या प्रकृत का संविधान शेर को सजा देता है ? नहीं न फिर तो हिरन के साथ अन्याय हुआ, तो ऐसे संविधान से क्या लाभः..? मगर शेर को सजा दिया गया तो शेर क्या खायेगा..? बगैर खाये भूखे एक दिन मर जायेगा, तो क्या शेर के साथ अन्याय नहीं हुआ...? फिर तो प्राकृतिक संविधान बनना असम्भव होगा। कभी ऐसे ही ख्याल मुझे भी आते थे मगर अब मैं सोचता हूँ संभव है। क्योंकि संविधान मानव हित के साथ साथ अन्य सभी प्राकृतिक प्राणियों, वस्तुओँ पर दयावान होगा तो किसी भी प्रकार की कोई अड़चन नहीं होगी।

अब आप सोचें आज की प्राकृतिक ढांचा क्या है क्या ब्राह्मण उस ढांचे से अलग है तो ब्राह्मण हित की बात तो अनुचित नहीं होगी मगर सिर्फ ब्राह्मण हित और मानव अहित कभी भी उचित नहीं, मगर कभी भी कही भी कुछ हासिल करना है तो छोटी छोटी मंजिले पार करनी होती है, जिसने घर की चौखट नहीं पार की वह कभी रास्ते पर नहीं होगा और बगैर रास्ते पर आये कोई मंजिल नहीं मिलती और जब पहली मंजिल मिलती है तो इंसान सोचता है मेरा मकसद ये नहीं उसे पाना था और कूच कर देता है अगली मंजिल के लिए।

आप सभी वर्ग धर्म के लोग एक अपने आस पास छोटे छोटे समूह से जुटे और उसका नेतृत्व करें! नेतृत्व करने वाले का कर्तव्य है कि वह अपने से बड़े समूह से जुड़े और अपने साथियों को जोड़े, तभी सेल्फ एंड मचुअल डेवलपमेंट की बात होगी। कभी भी जाति आधारित समूह होना असामाजिक नहीं यदि मकसद सामाजिक है तो ब्राह्मणों ने सदैव बोला है मेरा कल्याण हो मेरी जाति का कल्याण हो मेरे धर्म का कल्याण हो और पूरे विश्व का कल्याण हो, इसीलिए आज हिन्दू धर्म विद्वानों का धर्म है। इससे अधिक दार्शनिक धर्म कोई नहीं इसीलिये कुछ विद्वानों ने यहाँ तक कहा कि एक दिन हिंदुत्व ही बचेगा भले ही उसका नाम कुछ अलग हो मगर विचार यही होगा।

पढ़े इन पश्चिमी philosophers को :-

1. *लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):*

"हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनिया पर राज करेगी, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।

2. *हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946):*

" हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा। तभी एक दिन पूरी दुनिया उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनिया आबाद होगी। सलाम हो उस दिन को "।

3. *अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955):*

"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।

4. *हस्टन स्मिथ (1919):*

"जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनिया में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"।

5. *माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566):*

" हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।

6. *बर्टरेंड रसेल (1872 - 1970):*

"मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना होगा "।

7. *गोस्टा लोबोन (1841 - 1931):*

" हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ"।

8.  *बरनार्ड शा (1856 - 1950):*

"सारी दुनिया एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा "।

9. *जोहान गीथ (1749 - 1832):*

"हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है ।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।"

पुरे मानवता के कल्याण हेतु एक दूसरे से प्रेम भाव रखना और जुड़ना ही मात्र एक उपाय है इसलिए सदैव जुड़ने का प्रयास करें टूटने का नहीं जो भी आप को जोड़े उसके साथ जुड़े...!

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