वीरों की है जन्म भूमि इतिहास बताने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।
गुरु गोविंद सिंह के दो बेटे चुनवा गए दीवारों में,
दो वीरगति को प्राप्त हुए जो वीर रहे हजारों में।
माँ बोली चारो बेटों ने कर दी मेरी गोद को सुनी,
खड़े हजारों बेटों ने गुरु का सम्मान करी दूनी।
गुरु ने बोला ऐ भारत माँ ना थे वे मेरे चार,
मेरे तो ये बेटे देखो आज खड़े है कई हजार।
भारत के लालों का स्वभिमान बताने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।।
ऐसी सीख सिखाया गुरु ने जाग उठा पंजाब,
भीख मांगने से अच्छा कर्म से छीनो ख़वाब।
पंजाबी ने मन में बस एक ही बात को ठानी है,
बिना परिश्रम रोटी खाये सबसे बड़ा अज्ञानी है।
ऐसे पंजाब को कुछ लोगों ने लालच में डूबाया,
हिन्दू हित की बात परे भारत माँ को भुलवाया।
धरती वीर भगत सिंह की जगह नहीं गद्दारों की,
देश की खातिर जान लुटाना हसरत है दिलदारों की।
आज मैं उसको गुरु की याद दिलाने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।
बंदेमातरम दूर रहा अब भारत माता से परहेज,
कश्मीर में जले तिरंगा कहते आजादी है खेद।
गौ माताकी पूछ कहाँ जब राष्ट्रगान स्वीकार नहीं,
जिस पैसों से हज पर जाएं दाग़ लगाएं बैठ वही।
हिंदुस्तान की रोटी पर अपना अधिकार जताते है,
वही लोग भारत माँ को डायन कहकर बुलाते है।
जन्नत जाने वालों का हम आज टिकट कटवाएंगे,
पत्थर फेंकने वाले सुन लें हम फूल नहीं वर्षायेगें।
भारत का हरेक सिपाही तुझे सिखाने निकला है,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।
पाकिस्तान डराता सूरज को लेकर कुछ अंगारे,
मुस्लिम वोट पर मर मिटते कुछ नेता चोर हमारे।
ये दुशाद अब बोल रहे करवा लो जन मत संग्रह,
जूते मारो इन दुष्टों को करने आया हूँ मैं आग्रह।
तीन सौ सत्तर की खातिर देश का साथ निभाओ,
देशद्रोही आयेगा वोट मांगने जूते मार भगाओ।
दूध पिलाना बंद करूँगा अब आस्तीन के साँपों को,
चौराहों पर गोली चलवा दूँगा सत्तर साल के पापों को।
हिन्दू हित का शपथ लिया याद वह दिलाने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।
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