विष्णु भगवान के अवतार:-
1- श्री सनकादि मुनि
2- वराह अवतार
3- नारद अवतार
4- नर-नारायण
5- कपिल मुनि
6- दत्तात्रेय अवतार
7- यज्ञ
8- भगवान ऋषभदेव
9- आदिराज पृथु
10- मत्स्य अवतार
11- कूर्म अवतार
12- भगवान धन्वन्तरि
13- मोहिनी अवतार
14- भगवान नृसिंह
15- वामन अवतार
16- हयग्रीव अवतार
17- श्रीहरि अवतार
18- परशुराम अवतार
19- महर्षि वेदव्यास
20- हंस अवतार
21- श्रीराम अवतार
22- श्रीकृष्ण अवतार
महाभारत युद्ध के पश्चात घरती पर शुरू हुआ कलयुग, कलयुग के कुछ अपने विचार सिद्धांत अन्य युगों से अलग होने की वजह से धरती पर पल बढ़ रहे जीवों को बदलना इतना आसान नहीं था, श्री विष्णु भगवान के बाइस अवतारों ने सनातन धर्म को इतना मदत किया कि मृत्युलोक स्वर्गलोक से अधिक प्रिय होने लगा यहाँ के दैत्य भी यज्ञ पूजा पाठ करने लगे, जिसकी वजह से देवताओं में भय व्याप्त होने लगा कि मृत्युलोक जब सुन्दर हो जायेगा तो प्रकृति के नियम बदलने होंगे जो कि असंभव है, परन्तु ऐसा सम्भव हुआ तो सारी मर्यादाओं का उलंघन होगा फिर तो विष्णु भगवान ने पुनः तेइसहवां अवतार लिया भगवान गौतम बुद्ध के रूप में।
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईस्वी पूर्व क्षत्रिय कुल के शाक्य नरेश शुद्धोधन के घर सिद्धार्थ के रूप में हुआ, विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर, संसार को मरण से उत्पन्न दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए।
लगभग 80 वर्षों के बाद 483 ईस्वी पूर्व में उन्होंने मृत्युलोक का परित्याग किया। विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक भी बुद्ध भगवान ही थे।
बुद्ध भगवान ने दैत्यों को यज्ञ हवन न करने की सलाह दे देवताओं की मदत की, तथा धरती को प्रकृति के नियमो के अनुसार चलने में कलयुग की मदत की, परन्तु मात्र इतने से कलयुग को संतुष्टि नहीं हुई तब लगभग 470 वर्षो के इंतजार के बाद कलयुग ने यीशु मसीह को चुना अपने संदेशवाहक के रूप में जिन्होंने यहुदिओं को ज्ञान दे ईसाई रूप में परिवर्तित किया। ईसाई धर्म से भी कलयुग को असंतुष्टि ही हुई, फिर लगभग 570 वर्षो के पश्चात पुनः कलयुग ने मुहम्मद पैग़म्बर को अपना दूत बनाया।
मुहम्मद (सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) का जन्म अरब के रेगिस्तान में मुस्लिम इतिहासकारों के अनुसार 20 अप्रैल 570 ई. में हुआ। जिन्होंने निम्न जीवन साथियो
पत्नी: 1- खदीजा बिन्त खुवायलद
2- सोदा बिन्त ज़मआ
3- आयशा बिन्त अबी बक्र
4- हफ्सा बिन्त उमार
5- ज़य्नाब बिन्त खुज़आयमा
6- हिन्द बिन्त अवि उमय्या
7- ज़ाय्नाब बिन्त जहाश
8- जुवय्रिआ बिन्त अल-हरिथ
9- राम्लाह बिन्त अवि सुफ्याँ
10- रय्हना बिन्त ज़यड
11- सफिय्या बिन्त हुयाय्य
12- मयुमा बिन्त अल-हरिथ
13- मरिया अल-क़ीब्टिय्या
के साथ इंसानो को एक अलग ही जीवन शैली बताई जो आज के कुछ इंसानो को खूब रास आई। जब इतने प्रकार की कलाओं से कोई इंसान गुजारेगा तो स्वाभाविक है मृत्युगति को प्राप्त होना। अतः 8 जून 632 में पैगंबर साहेब कि मृत्यु हुई। समय को ज्ञात है कि यदि किसी से कुछ करवाना है तो सबसे पहले उसे अपने अनुरूप करो और समय ने ऐसा ही किया। फिर देखादेखी अन्य लोगो में भी यही प्रवित्ति जागने लगी और पुरुषों को तन प्रिय और औरतों को धन प्रिय होने लगा। तन धन की चपेट में आकर मनुष्य एक मांस के टुकड़े रूप में नजर आने लगा फिर तो क्या पशु और क्या मानव बदल गया और हो गया मांस प्रेमी दानव।
अल्ला शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के शब्द अल्ला से हुई है, "अल्लोपनिषद". चण्डी,भवानी,दुर्गा,अम्बा,पार्वती आदि देवी को आल्ला से सम्बोधित किया जाता है। जिस प्रकार सनातनी लोग मंत्रों में "या" शब्द का प्रयोग करते हैं देवियों को पुकारने में जैसे "या देवी सर्वभूतेषु....", "या वीणा वर ...." वैसे ही मुसलमान भी पुकारते हैं "या अल्लाह"..इससे सिद्ध होता है कि ये अल्लाह शब्द भी ज्यों का त्यों वही रह गया बस अर्थ बदल दिया गया।
सनातन धर्म के अनुयायी भी समय के प्रभाव से निष्क्रिय होने लगे, पहले से ही शक्ति, धन, ज्ञान की चाह ने दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की उपासना के लिए प्रेरित होते मनुष्यों से जटा से शीतल गंगा को प्रवाहित करनेवाले शंकर भगवान को समुद्र मंथन के समय विष पिला दिया तो भगवान शंकर के भक्त गर्म दिमाग और विष पान से भगवा पुरुष तांडव करे तो क्या गलत? मगर जो कुछ भी हो कलयुग ने धरती को अपने अनुसार बना ही लिया। वर्तमान स्थिति और अत्याचार संविधान से कोई भी अछूता नहीं, अबतो न्याय भी धर्म जाति व्यक्ति का मोहताज है। ये कलयुग का असर ही तो है। अब इंतजार कीजिए कि विष्णु भगवान अपने चौबीसहवें अवतार कल्कि भगवान के रूप में प्रगट हो और कलयुग का कार्यकाल समाप्त करें!!
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