Thursday, 11 August 2016

पाप और पुण्य को पहचानें।

लोग कहते है कि समय नहीं बीत रहा है,
समय बिताने के लिए कोई अय्यासी, कोई नसेड़ी, कोई जुआ खेल अपना समय खीच रहा है।
कोई संस्था बना कोई संस्था को दान दे सेवा तो कोई परोपकार का दरिया सींच रहा है।
कोई देशभक्ति में स्वदेशी, मुनाफ़े से देशवासियों के लिए अखण्डता का खाका खीच रहा है।
मगर आश्चर्य की बात ये है कि जब तक धरती है तब तक जीने की चाहत लिए जी रहा है।
भगवान आपको लम्बी उमर सुख शांति स्वाभिमान यस कीर्ति दे जियो जीने में क्या बुराई है।
मगर पुण्य परोपकार अय्यासी नशेबाजी देशभक्ति नहीं पुण्य वही कि किस तरह की कमाई है।
जीव हो तो गलतियां होगी ही पर हत्याएं शेर की तरह उतनी ही करो जितने की तुम्हे जरुरत हो।
चूहों की तरह मत भरो ख़जाना मत काटो कच्ची फ़सल जो इस प्रकृत में अत्यधिक खूबसूरत हो।
कर लिया धन बेसुमार इस दुनियां में जब संभला नहीं तो मन हुआ अशांत अब लगे खैरात बाटनें।
भूख लगी थी गज़ब की खा लिए तेल नीम गुड़ अनाज जब तीखा हुआ स्वाद तो लगे शहद चाटने।
समय बिताने के लिए सुरा सुंदरी जर जमीन की जरुरत नहीं सिर्फ मन में शांति होनी चाहिए।
आप कीर्तिवान हो उसके लिए लाखों वर्ष उम्र दान दया की आवश्यकता नहीं सत्यकर्म चाहिए।।
गौतम बुद्ध राजा हरिश्चंद्र विक्रमादित्य अशोक सम्राट को हम धन नहीं कर्म के लिए जानते है।
तुलसी कबीर रसखान सूरदास रविदास थे तो निर्धन मगर आज आप उन्हें भी महान मानते है।
मत भागो कीर्तिमान होने के पीछे सिर्फ कर्म करो जीना है अगर इस दुनियां में आसमां के नीचे।
गीता का ज्ञान लो सत्यकर्म करो मत भागो ऊचाइयों के लिये कि कोई कुत्ता टांग पकड़कर खीचे।।

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