Thursday, 25 August 2016

झांक रहे है देश के दुश्मन अपनी इन दीवारों से। बचकर रहना अपने ही घर में छुपे हुए गद्दारों से।।

रखें कटोरा हरदम ख़ाली पर भर जाती है बोरी।
सारे सागर के जल से नहाके भैस न होती गोरी।।
कुर्सी की लालच कुछ ऐसा अब मांग रहे है चंदा।
झाड़ू लगवै टोपी पर, पर दिल दिमाग है गन्दा।।
सावधान हो जाओ भाई मेरे देश में घुस गए चोर।
पाकिस्तान से साठगांठ कर खुबही मचावत शोर।।
झांक रहे है देश के दुश्मन अपनी इन दीवारों से।
बचकर रहना अपने ही घर में छुपे हुए गद्दारों से।।
एक मकान मालिक ने घर रखवाले को सुपुर्द कर दिया।
रखवाले ने आते ही घर की कमाई को चमचो में लुटाया।
अय्यासी मौजमस्ती संग सिगरेट का धुआं खूब उड़ाया।
बहुत सारे कुत्ते पाले अपने खाया व कुत्तों को खिलाया।
खर्च का आलम ये की कमाई काम पड़ने लगी जब तो।
किसी गैर का घर था इसीलिए उसका सामान बेचावया।
कभी खिड़की कभी दरवाजे तो कभी परदे बेच खाया।
बर्तन बेचे चूल्हा बेचे बिस्तर भी किसी और को दे आया।
सारा सामान बेचने के बाद ईंट पत्थरों का नंबर आया।
यह सब देखकर हैरानी से मकान मालिक खूब घबराया।
संविधान के तहत 2014 में वह मकान खाली करवाया।
इसके बाद एक सम्भ कर्मठ ईमानदार रखवाला आया।
जिसने एक एक कर मकान पुनर्निर्माण का काम चलाया।
घर में नया रखवाला देख कुत्तों ने फिर से सेंध लगाया।
मगर माकन रखवाले ने किसी को एक रोटी नहीं खिलाया।
फिर कुत्तों ने शोर शराबा कर चारों पैर जमीन पर चलाया।
भूक भूक कर सोचा होगा कि अब रखवाला घबराया।
रखवाला भी शेर दिल था इसीलिये जोर से दहाड़ लगाया।
इतने दिनों से हराम की खानेवाले कुत्ते कम कहाँ होते है।
डरने के बाद भी थोड़ी दूरी बना भुकने से कब रुकते है।
यह सब दृश्य देख मकान मालिक को खूब मजा आया।
मालिक जनता मकान भारत में अभी एक रखवाला आया।।

Wednesday, 17 August 2016

अंधविश्वास में उलझा भारत।

हे भारत माँ अपने बच्चों को अंधविस्वास से बचाओ!:--               
              किसी मज़ार पर एक फकीर रहते थे।
सैकड़ों भक्त उस मज़ार पर आकर दान-दक्षिणा चढ़ाते थे।

उन भक्तों में एक बंजारा भी आता था।

वह बहुत गरीब था,

फिर भी, नियमानुसार आकर माथा टेकता,

फकीर की सेवा करता,
और
फिर अपने काम पर जाता,
उसका कपड़े का व्यवसाय था,
कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर लिए सुबह से लेकर शाम तक गलियों गलियों में फेरी लगाता,
कपड़े बेचता।

एक दिन उस फकीर को उस
पर दया आ गई,
उसने अपना गधा उसे भेंट कर दिया।

अब तो बंजारे की आधी समस्याएं हल हो गईं।
वह सारे कपड़े गधे पर लादता और जब थक जाता
तो
खुद भी गधे पर बैठ जाता।

यूं ही कुछ महीने बीत गए,,

एक दिन गधे की मृत्यु हो गई।

बंजारा बहुत दुखी हुआ,
उसने उसे उचित स्थान पर दफनाया,
उसकी कब्र बनाई
और
फूट-फूट कर रोने लगा।

समीप से जा रहे किसी व्यक्ति ने
जब यह दृश्य देखा,
तो सोचा
जरूर किसी संत की मज़ार होगी।
तभी यह
बंजारा यहां बैठकर अपना दुख रो रहा है।
यह सोचकर उस व्यक्ति ने कब्र पर
माथा टेका और अपनी मन्नत हेतु वहां प्रार्थना की कुछ पैसे चढ़ाकर वहां से चला गया।

कुछ दिनों के उपरांत ही उस
व्यक्ति की कामना पूर्ण हो गई। उसने
खुशी के मारे सारे गांव में
डंका बजाया कि अमुक स्थान पर एक पूर्ण फकीर की मज़ार है।
वहां जाकर जो अरदास करो वह पूर्ण होती है।
मनचाही मुरादे बख्शी जाती हैं वहां।

उस दिन से उस कब्र पर
भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया।

दूर-दराज से भक्त अपनी मुरादे बख्शाने वहां आने लगे।
बंजारे की तो चांदी हो गई,

बैठे-बैठे उसे कमाई
का साधन मिल गया था।

एक दिन वही फकीर
जिन्होंने बंजारे
को अपना गधा भेंट स्वरूप
दिया था वहां से गुजर रहे थे।

उन्हें देखते ही बंजारे ने उनके चरण पकड़ लिए और बोला-
"आपके गधे ने
तो मेरी जिंदगी बना दी। जब तक जीवित था
तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद करता था
और
मरने के बाद
मेरी जीविका का साधन बन
गया है।"

फकीर हंसते हुए बोले,
"बच्चा!
जिस मज़ार
पर तू नित्य माथा टेकने आता था,

वह मज़ार इस गधे की मां की थी।"

बस यूही चल रहा है मेरा भारत महान ।

राजा विक्रमादित्य का एक छोटा सा जीवन परिचय।

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य..... ????
    क्या राजा विक्रमादित्य का इतिहास पढ़ाने से देश कम्यूनल हो जाता...?? देश की संस्कृति को नष्ट करने वालो को फिर से देश में राज करने देना चाहिए...?? एक बार पढ़े फिर उत्तर दे।
      बड़े ही शर्म की बात है कि महाराज विक्रमदित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था

       उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...
        बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,

      आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
     भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे

     रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
       विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
      हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है

       महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे ।

       हिन्दू कैलंडर भी विक्रमदित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे ,
विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी

      पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम शासको के शासनकाल में लिखित इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है, कृपया आप शेयर तो करें ताकि देश जान सके कि सोने की चिड़िया वाला देश का राजा कौन था ?

Tuesday, 16 August 2016

छात्र जीवन से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण बातें।

छात्र जीवन से गृहस्थ जीवन में कुछ अर्थपूर्ण बदलाव होते है अन्यथा सारी उम्र तो हर कोई सीखता है।

- इंसान के अंदर पल रही ईर्ष्या और अहम न तो हमें सीखने देता है और न सिखाने देता है।

- जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है  इसकी आदत बना लें।

-   लोग तुम्हारे स्वाभिमान की  परवाह नहीं करते इसलिए पहले खुद को  साबित करके दिखाए।

- कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद  5 आंकड़े वाली  पगार  की मत सोचें, एक रात में कोई  वाइस प्रेसिडेंट नहीं बनता, इसके लिए अपार मेहनत पड़ती है।

- अभी आपको अपने शिक्षक सख्त और डरावने लगते होंगे  क्योंकि अभी तक आपके जीवन में  बॉस नामक प्राणी से पाला नहीं पड़ा।

- तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है तुम्हारी पराजय सिर्फ तुम्हारी है किसी को दोष मत दो इस गलती से सीखो और आगे बढ़ो।

- तुम्हारे माता पिता तुम्हारे जन्म से पहले इतने निरस और ऊबाऊ नही थे जितना तुम्हें अभी लग रहा है, तुम्हारे पालन पोषण करने में उन्होंने इतना कष्ट उठाया कि उनका स्वभाव बदल गया।

- सांत्वना पुरस्कार सिर्फ स्कूल में  देखने मिलता है, कुछ स्कूलों में तो  पास होने तक  परीक्षा दी जा सकती है, लेकिन बाहर की दुनिया के नियम अलग हैं वहां हारने वाले को मौका नहीं मिलता।

– जीवन के स्कूल में  कक्षाएं और वर्ग नहीं होते और वहां महीने भर की छुट्टी नहीं मिलती, आपको सिखाने के लिए कोई समय नहीं देता, यह सब आपको खुद करना होता  है।

– टी वी का जीवन सही नहीं होता और जीवन टी वी  के सीरियल नहीं होते, सही जीवन में आराम नहीं होता सिर्फ काम और सिर्फ काम होता है।

– लगातार पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने मित्रों को कभी मत चिढ़ाओ, एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हें उसके नीचे काम करना पड़ेगा।

एक सत्य...

क्या आपने कभी ये विचार किया कि..

लग्जरी क्लास कार
(Jaguar, Hummer, BMW, Audi, Ferrari Etc.) का किसी TV चैनल पर कभी कोई विज्ञापन क्यों नही दिखाया जाता ??
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कारण यह कि उन कार कंपनी वालों को ये पता है कि...
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ऐसी कार लेने वाले व्यक्ति के पास TV के सामने बैठने का फालतू समय नहीं होता..।

Sunday, 14 August 2016

क्रांतिकारी बलिदान हुए सत्ता मिली दलालों को।

घनधोर काली घटा छाई थी बादलों में बिजलियां चमक रही थी, खूब घड़ घड़घड़ाहट की आवाज के साथ वर्षा ऐसी हो रही थी कि सामने दो मीटर भी देखना मुश्किल था, ऊपर मुँह किये तो तेज बुँदे चेहरा लाल कर जाती, ऐसी स्थिति में जिधर देखो उधर पानी पानी ही नजर आ रहा था, कही एक इंच भी जमीन नहीं दिख रही थी, बहुत से जीव बाढ़ में बह गए, कुछ संघर्ष कर पानी निकाल रहे थे कुछ डरपोक बचे वे किसी पेड़ पर शरण लिए हुए थे। पेड़ ऐसा था जिसपर साँप बन्दर और इंसान ने शरण ले रखा था। कुछ ऐसा ही मन्जर था सन 1947 की आजादी का...। बात इसके आगे की बोलू एक कहानी याद आ गई कि एक लड़का था रोज रोज माँ से पैसे ले जाता था, बड़े मजे से खर्च कर आता था, कभी मोबाइल, कभी लैपटॉप, कभी कपड़े तो कभी बाइक की मांग करता माँ बाप अच्छे थे, मांगे मान लेते थे, मगर मांगे ऐसी की कभी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, एक के बाद एक मानो सारी दुनियां खरीदने की तमन्ना हो बेटे में, एक दिन पिता ने सोचा कि इस कदर तो बेटा बरबाद हो जायेगा, अचानक से बेटे ने एक लाख वाली बाइक खरीदने की मांग लगा दी तो पिता बोला ठीक है कल तुम दो सौ रुपये कमा कर ले आओ तो परसों मैं बाइक खरीद दूँगा, बेटा भी सोचा इसमे कौन सी बड़ी बात, अगले दिन कमाने के लिए निकल गया, देखा एक जगह मकान का निर्माण हो रहा था, निर्माण कराने वाले से काम माँगा तो आसानी से काम भी मिल गया और शाम तक दो सौ रुपये देने की बात भी हो गई, शाम उस दिन की ऐसी कि हो ही नहीं रही थी ऊपर से भूख जोरों की परन्तु बाइक की लगन थी तो किसी न किसी तरह समय गुजार ली बेटे ने, जब दो सौ रूपया लेकर घर पंहुचा तो अपनी शर्त पूरी करते हुए बोला ले आओ एक लाख। तो पिता बोला ठीक है पहले ये दो सौ रुपये तुम कुँए में डाल आओ, बेटा पैसा लिए कुँए के पास गया कभी हाथ देखता कभी पैसा मगर खुद की कमाई थी इसलिये कुँए में डालना आसान नहीं था और डाल भी नहीं पाया पैसा वापस लेकर आया और बोला आज मैं समझ गया पैसे का महत्व आज के बाद से मैं भी कमाऊँगा।

काश ऐसा ही कोई पिता मिल गया होता अंग्रेजो से आजादी की बात करनेवालों को तो समझ में आ गया होता कि आजादी के लिए कितनो ने गोलिया खाई कितने चढ़ गए फांसी पर मगर ना तो उन्होंने ना उनकी माओं में आंख में आशू भरे अगर आंशू आ जाते तो बचे क्रांतिकारियों के हौसले पस्त हो जाते, मगर जिन्हें यह ज्ञात की आजादी चरखे से आई या आंदोलन से उन्हें ही  एहसास है आजादी का अर्थ। अब बातें पेड़ पर जान बचाते सांप बन्दर और इंसान की तो सांप ने बाढ़ का फायदा उठा पाकिस्तान के नाम पर भारत को अलग करवाया जो इंसान उस डाल पर थे वे तो बाढ़ की डर से छिपे बैठे थे जिन्होंने सांपो की बात मानी, उन्हें क्या बता बाढ़ में संघर्ष कर कितनो ने अपनी जान की बाजी लगा धरती को खाली कराया है। खाली करनेवाले वेचारे गुम सुधा हो गए और डाल पर जान बचानेवालों ने देश का सौदा कर लिया। बंदरों ने भी कम चाल नहीं चली, मुफ्तखोर इंसानो के साथ मिल खूब दलाली खाई कोई लेखक बन कोई व्यापारी, तो कोई ठेकेदार,कलाकार आदि मगर जिन्होंने गोली खायी पहली बार एक ऐसी सरकार आयी, जिसे उन क्रांतिकारियों की याद आयी, वर्ना देश कर्जदार हो गया था एक खासमखास असभ्य समाज का जिनमें न कोई नीति थी न कोई धर्म, एक ही कार्य था इनलोगों का कि करो घोटाला बनाओ धन।
    उस लड़के की तरह बात भी इन लोगो को समझ में बात आ जाती कि आजादी का अर्थ क्या होता है? आज सत्तर साल हो गए न तो आरक्षण हट पाया और न उचित संविधान बन पाया। देश में दो दो संविधान चलते है। किसी पी एम ने इतनी हिम्मत भी जुटाई कि पी ओ के की बात भी कर पाएं। बड़ी खुशी की बात है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पहली बार कही कि पी ओ के भारत का अंग है। एक पाकिस्तानी सरकार है हराम की मिली हिंदुस्तान की धरती हजम नहीं हो रही और चाहिए और चाहिए हरामजादों को। यदि पहली बार ही हराम की धरती नहीं दी गयी होती तो क्या हमारे क्रांतिकारियों में इतना दम नहीं था कि देश आज़ाद करा पाते...? खूब आसानी से करा लेते अंग्रेज जिनसे भय खाते थे, उनसे तो बातें ही नहीं कर पाते थे। अगर कुछ गद्दारो ने दख़ल नहीं दिया होता तो अंग्रेज भय बस खुद ही बग़ैर बताये भाग जाते। मगर जो कुछ हुआ अब उसे बदलना संभव नहीं, मगर जो कुछ बरबाद होने वाला है उसे तो रोका जा सकता है। अब तो सत्तर साल बीत गए अब और समय नहीं बरबाद होने चाहिए। कुशल नेतृत्व चुनने की आदत बनाएं, और देश को सही ढंग से भ्रस्टाचार, अत्याचार, गरीबी और अशिक्षा आदि से आजादी दिलाएं।
              !!जय हिन्द जय भारत!!

Friday, 12 August 2016

जीत हार की लागी है ये समय भी निकल जायेगा।

शाम आई थी रात की घटा भी छाई थी,
चाँद भी चमक रहा आँख टिमटिमाई थी,
दिखरहे थे जुगनू और तारे भी चमक रहे,
भूख थी गजब मगर रसोई ना महक रहे,
छुप रहे थे लोग सब मैं खड़ा अकेला था,
कौन सी डगर चलूँ पर ना कोई सहेला था,
एक के बाद एक अनेकों रास्तों का परिचय,
जिसकी तलास थी उसके न मिलने की संसय,
आसुओ क्यूँ बेवजह निकल मजाक उड़ाती हो,
जब मैं तन्हा हो जाऊ तब क्यू नहीं आती हो,
दर्द तो दर्द था मगर सफ़र भी कुछ हम न था,
संकल्प छोड़ा नहीं क्योंकि विकल्प कम न था,
मुझे क्या पता था कि राह में आप मिल जाओगे,
जिन अंधेरो में गुम था उसका रास्ता बताओगे,
सुबह हुई तब भी आसुओ ने साथ नहीं छोड़ा,
तब गम के आँसू थे पर ख़ुशी ने नाता ना तोडा,
हरवक्त में अपने आप से इन्ही का साथ होता है,
बेवजह ही इंसान हालात से लड़े बिन रोता है,
रविवार या मंगलवार ना किसी के रंग अलग,
मजाक हो या तारीफ़ किसी के ना ढंग अलग,
होते है जब दुःख के आंसू तब बातें मजाक लगती,
सफलता मिली नहीं कि यही तारीफ़ बनके ठगती,
बावला इंसान न समझा और न समझ पायेगा,
जीत हार की लागी है ये भी समय निकल जायेगा।।

Thursday, 11 August 2016

पाप और पुण्य को पहचानें।

लोग कहते है कि समय नहीं बीत रहा है,
समय बिताने के लिए कोई अय्यासी, कोई नसेड़ी, कोई जुआ खेल अपना समय खीच रहा है।
कोई संस्था बना कोई संस्था को दान दे सेवा तो कोई परोपकार का दरिया सींच रहा है।
कोई देशभक्ति में स्वदेशी, मुनाफ़े से देशवासियों के लिए अखण्डता का खाका खीच रहा है।
मगर आश्चर्य की बात ये है कि जब तक धरती है तब तक जीने की चाहत लिए जी रहा है।
भगवान आपको लम्बी उमर सुख शांति स्वाभिमान यस कीर्ति दे जियो जीने में क्या बुराई है।
मगर पुण्य परोपकार अय्यासी नशेबाजी देशभक्ति नहीं पुण्य वही कि किस तरह की कमाई है।
जीव हो तो गलतियां होगी ही पर हत्याएं शेर की तरह उतनी ही करो जितने की तुम्हे जरुरत हो।
चूहों की तरह मत भरो ख़जाना मत काटो कच्ची फ़सल जो इस प्रकृत में अत्यधिक खूबसूरत हो।
कर लिया धन बेसुमार इस दुनियां में जब संभला नहीं तो मन हुआ अशांत अब लगे खैरात बाटनें।
भूख लगी थी गज़ब की खा लिए तेल नीम गुड़ अनाज जब तीखा हुआ स्वाद तो लगे शहद चाटने।
समय बिताने के लिए सुरा सुंदरी जर जमीन की जरुरत नहीं सिर्फ मन में शांति होनी चाहिए।
आप कीर्तिवान हो उसके लिए लाखों वर्ष उम्र दान दया की आवश्यकता नहीं सत्यकर्म चाहिए।।
गौतम बुद्ध राजा हरिश्चंद्र विक्रमादित्य अशोक सम्राट को हम धन नहीं कर्म के लिए जानते है।
तुलसी कबीर रसखान सूरदास रविदास थे तो निर्धन मगर आज आप उन्हें भी महान मानते है।
मत भागो कीर्तिमान होने के पीछे सिर्फ कर्म करो जीना है अगर इस दुनियां में आसमां के नीचे।
गीता का ज्ञान लो सत्यकर्म करो मत भागो ऊचाइयों के लिये कि कोई कुत्ता टांग पकड़कर खीचे।।

Monday, 8 August 2016

हिन्दू साजिस से आहत है न कि शत्रु से।

क्या हमें परेशान किया जा रहा है ? ये सब एक साजिस तो नहीं। ऐसा क्यों होता है कि विदेशी मीडिया महा शिवरात्री में किसी समुदाय के दूध चढ़ाने पर बोलती है, लाखो लीटर दूध पत्थर पर फेका जा रहा है और लाखों बच्चे भूखे है, यदि यह दूध नहीं चढ़ाया जाता तो लाखो जिंदगियां बच जायेगी, लेकिन यही लोग जब गाय काटी जाती है तो नहीं बोलते कि, यदि यह गाय बची रहती तो पुरे जीवन में कितना दूध देती, उससे कितने लोगो की जान बचाई जा सकती है।
     जब लोग होली में रंगो से अपना पर्व मनाते है तो यही विदेशी पैसों से चलने वाले लोग बोलते है, इस त्यौहार पर लाखो लीटर पानी बरबाद हो जाता है। यदि यही पानी सूखा पीड़ितों को दिया जाता तो लाखो जाने तरोताजा हो जाती, लेकिन ये नहीं बोलते कि मुहर्रम या ईद पर मासूम बच्चों या जानवरों के साथ अमानवीयता से कितना पानी बचता। और इससे कितने लोगो का फायदा होता। मैं किसी धर्म या प्रथा का बिरोधी नहीं सब लोग अपना अपना त्यौहार हर्षो उल्लास से मनाये माँ को बड़ी ख़ुशी होगी।
    दीवाली में सिर्फ एक देश के कुछ लोग पटाखे फोड़ते है तो यही मीडिया बोलती है। इन पटाखों से इतना पलूशन होगा कि लोगो को दमा होकर जाने जा सकती है, लेकिन नए साल में पूरा विष्व जब आतिशबाजी करता है तो उससे पलूशन नहीं भड़वे जश्न बताते है बोलते है आज पूरा विष्व नए वर्ष का स्वागत कर रहा है जश्न मना रहा है।
   कुछ लोगो द्वारा जब किसी मासूम अबोध बच्चों का जननांग काटा जाता है तब क्या उसे धर्म के बारे में पता होता है ? क्या उसमे उसकी रजामंदी होती है? क्या यह मानवाधिकार का उलंघन नहीं है? और इसका दुष्परिणाम होता है कि एक अधूरा आदमी पुरे आदमी से नफ़रत करने लगता है। क्योंकि बचपन में पता नहीं वह क्या बनना चाहता था और उसे क्या बना दिया गया। फिर तो मरता क्या न करता। एक का कट जाता है तो वह दूसरे का भी काट देता है, रॉड ख़ुशी जब सबका मरै।
      एक हिन्दू सिख ईसाई बौद्ध या जैन आदि अपनी स्वेक्षा से धर्म के प्रति आस्था रखता है। लेकिन अधूरे इंसान की यही मजबूरी है कि, जो कभी पूरी नहीं हो सकती इसलिये सिर्फ नफ़रत ही बचती है। जिसे कभी न तो विदेशी पैसो से चलने वाली मीडिया बोल सकती है और न ही देशद्रोही विदेशी चंदाचोर नेता। बोलेगे तो सुबह पिट जायेगे या कंगाल हो जायेगे।
   मैं उनके लिए माँ से प्रार्थना करूँगा कि अपने दुःख को किसी के ऊपर न थोपने की उन्हें प्रेरणा दे! अपने अधूरेपन की जलन से किसी मासूम को अधूरा न बनाये।
    तो क्या इस देश के लोगो के साथ साजिस हो रही है हिन्दू मुस्लिम सिख आदि को आपस में लड़ाने की.....लगता तो ऐसा ही है कि विदेशी ताकते देश में कुछ लालची कुत्तो के सामने पैसा फेककर लड़ा रही है। आप का कर्तव्य है कि ऐसे लोगो को देखना सुनना बंद कर दे देश में धार्मिक लड़ाई अपने आप बंद हो जायेगी और देश एक महान राष्ट्र।
              जय हिन्द!     जय भारत!

Wednesday, 3 August 2016

आरक्षण की आड़ में धनिकों का गजब हैं खेल, क्षत्रिय, ब्राह्मण, बैश्य और हरिजन सभी मांगे तेल।

आरक्षण की आड़ में धनिकों का गजब हैं खेल,
क्षत्रिय, ब्राह्मण, बैश्य और हरिजन सभी मांगे तेल।
मुर्ख है वे लोग जो कहते है आरक्षण चाहिए,
जिंदगी भर गुलामी और भीख में क्षण चाहिए।
दोस्त ज़िंदगी हमेशा पाने के लिए ही नही होती,
समझ हर बात समझाने के लिए ही नही होती।
याद तो अक्सर आती रहती है आप हिन्दुओं की,
मगर सचेतो हर याद जताने के लिए नही होती।।
आज नया कुछ भी नहीँ है यारों वही दिल पुराना है।
तुम्हे समझाने की कोशिश मगर समझ न आना है।।
फासलों से अगर मुस्कुराहटें लौट आये, तुम्हारी।
तो तुम्हें हक़ है कि तुम दूरियाँ बना लो मुझसे..।।
जब भी करीब आता हूँ बयां दिल सुनाने के लिए,
जिंदगी दूर रखती हैं न जाने किसे सताने के लिये!
महफ़िलों की शान धनिकों का गुलाम न समझना,
मैं तो अक्सर हँसता हूँ खुद गम छुपाने के लिये।
जख्म तो हम भी अपने दिल में तुमसे गहरे रखते हैं!
मगर  हम जख्मों पे  मुस्कुराहटों  के  पहरे  रखते हैं!!
यार नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं।
सच में जब भी मिलते हैं कहते हैं तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।।
न्याय बिकता है यहाँ झूठ भी बेच देते है लोग,
सब तो सब गुम्बारो भरकर हवा भी बिक जाता है।
आकाश तालाब तीनो लोको में फैला है पानी,
मगर बोतल में बंदकर यहाँ पानी भी बिक जाता है।।
समझते हो नेता लोग तुम्हे आरक्षण खैरात में देते है।
तुम्हारी जिंदगी में ग़ुलामी दे मलाई खुद चाट लेते है।।
कहते है जाति के आधार पर हम देते है आरक्षण,
उकसा लड़ाते है कि हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।
मगर कोई बच्चा पैदा होते ही पूँजीपति क्यों?
यहाँ एक बच्चा अरबपति दूसरा कीड़ो सा बेकार है।।
दम है तुझमे समानता लाने की तो मुझसे बात कर,
सभी के मरने पे उसकी आधी संपत्ति देश में बांट कर।
आधी संपत्ति उसके बच्चों को अवश्य देना चाहिए,
बढ़ती खाई को पाट मानवता का रूप होना चाहिए।
है किसी सरकार या नेता में ऐसा कर दिखाने का।
पागलों जागो नेता सिर्फ कुर्सी के लिए लड़ाने का।
निन्यानबे प्रतिशत धन एक प्रतिशत लोगो में है,
सम्पदा सभी में बराबर बाटें या आरक्षण चाहिए।।
आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान की नीति बढ़ाए,
अमीरी गरबी नफ़रत मिटा मानवता का दीप जलाए।।

प्रकृति ब्रह्माण्ड की किसी भी सम्पदा का बंटवारा नहीं करती है, बंटवारा अपनी सुविधा के अनुसार सरकार कराती और करती है। जिसमें उसे पर्याप्त सम्पदा शक्ति का लाभ होता है, इसी के सहारे अमीरी गरीबी का जन्म होता है। अन्यथा मानव के अलावा किसी भी जीव में अमीरी गरीबी का चलन नहीं है, इस चलन को चालू रखने का नाम है आरक्षण, जब तक ऐसी प्रथा रहेगी तब तक जनता आपस में लड़ेगी और गरीब की गरीबी कभी नहीं मिटेगी। यदि सत्य मार्ग पर चलना है तो सम्पदा का समान रूप से बंटवारे के लिए नेता चुनें न की आरक्षण का चम्मच चटाने वाला ठग, जिस दिन जनता को मेरी बातों का एहसास हो जायेगा, उस दिन से ठगी लालच का अंत हो जायेगा। दुनियां में ऐसा भी हो सकता है, कि यदि कोई व्यक्ति का देहांत हो तो उसकी संपत्ति का आधा हिस्सा पुरे देश के लोगो में बाट दिया जाय और आधा उसकी संतानो को, जिसका परिणाम यह होगा की धीरे धीरे समानता बढ़ेगी और नफ़रत कम होगी। यदि यह विचार उचित है तो इसका प्रचार प्रसार करें...!!!