हिन्दू जब भावनाओं में बहता है तो साधू संत योगी बनकर समाज की सेवा करता है मगर मुस्लिम आतंकी बन दुष्टता, अत्याचार, अपराध को गले लगता है क्यों?? क्या कभी आपने सोचा है, नहीं तो आगे पढ़े! हर इन्सान में डर होता है अपने अधिकारों के प्रति जब यही भय या डर को फियर बोले तो, (Fear) का दो व्याख्या है एक Forget Everything And Run दूसरा Face Everything And Rise समस्याओं की अनदेखी करो और आगे बढ़ो, या समस्यायों पर विजय प्राप्त करते हुए संघर्ष करो। दोनों चीजे आपके पास है चुनना आपको है जैसी जिंदगी जीना है वैसी चयन करें। मगर एक बात नहीं भुलानी चाहिए कि आँख बंद कर लेने से अँधेरा नहीं हो जाता है। आज हमारे समाज में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने में आता है कि लोग अपनी सुविधानुसार आँखे खोलते और बंद करते है और कहते है देश बदल रहा है, मेरा देश बिगड़ रहा है। और सुख की अनुभूति नहीं होती क्योंकि हम सुख प्राप्ति हेतु कपड़े बदलते है, गाड़ी बदलते है, दोस्त बदलते है, मकान बदलते है मगर स्वभाव नहीं बदलते और चाहते है संतुष्टि मिल जाय दुःख छट जाय सुख आ जाय।
सुख की खोज में दिन रात भटकता इंसान जब कुछ ज्ञान अर्जित कर लेता है तब भयमुक्ति का मार्ग खोजता है, क्योंकि जब तक भय है तब तक हम आगे नहीं बढ़ सकते ऐसे में जीने के लिए अनुशासन जिसे टेक्निकल भाषा में ब्रेक बोलते है। जैसे किसी गाड़ी में ब्रेक होता है, जो सिर्फ और सिर्फ गाड़ी को रोकता है जब भी ब्रेक कार्य शुरू करेगा तो गाड़ी चल नहीं सकती मगर ब्रेक भी उतना ही जरुरी है जितना गाड़ी में इंजन। यदि ड्राइवर ब्रेक लगाकर बैठे तो गाड़ी नहीं चलेगी जिसे कहते है भय। समयानुसार उचित मार्ग देखकर ब्रेक पर से दबाव समाप्त करना और गतिवर्धन के लिए इंजन को उत्तेजित करने को ही अनुशासन कहते है। यही अनुशासन ज्ञान पर आधारित होता है जो हमें हमारे धार्मिक ग्रन्थों से मिलता है।
अतीत में जो कुछ भी हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ, जो कुछ हो रहा है, अच्छा हो रहा है, जो भविष्य में होगा, अच्छा ही होगा। अतीत के लिए मत रोओ, अपने वर्तमान जीवन पर ध्यान केंद्रित करो , भविष्य के लिए चिंता मत करो।
जन्म के समय में आप क्या लाए थे जो अब खो दिया है? आप ने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया है? जब आप पैदा हुए थे, तब आप कुछ भी साथ नहीं लाए थे। आपके पास जो कुछ भी है, आप को इस धरती पर भगवान से ही प्राप्त हुआ है। आप इस धरती पर जो भी दोगे, तुम भगवान को ही दोगे। हर कोई खाली हाथ इस दुनिया में आया था और खाली हाथ ही उसी रास्ते पर चलना होगा। सब कुछ केवल भगवान के अंतर्गत आता है।
आज जो कुछ आप का है, पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा। परिवर्तन संसार का नियम है।
आप एक अविनाशी आत्मा हैं और एक मृत्युमय शरीर नहीं है। शरीर पांच तत्वों से बना है - पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश। एक दिन शरीर इन तत्वों में लीन हो जाएगा।
आत्मा अजन्म है और कभी नहीं मरता है। आत्मा मरने के बाद भी हमेशा के लिए रहता है। तो क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? आप किस बात से डर रहे हैं? कौन तुम्हें मार सकता है?
केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए अपने आप को समर्पित करो। जो भगवान का सहारा लेगा, उसे हमेशा भय, चिंता और निराशा से मुक्ति मिलेगी।
मुस्लिमों के विषय में हमारे अनेकों महापुरुषों ने अपनी विचारधारा को हमें बताया है।
स्वामी विवेकानन्द:-
ऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो । इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए । उसको मारना उस पर दया करना है । जन्नत ( जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है ) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है । इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है ।
---कम्प्लीट वर्क आफ विवेकानन्द वॉल्यूम २ पृष्ठ २५२
महर्षि दयानन्द सरस्वती:-
इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लूट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना शबाब का काम हैं । जो मुसलमान नहीं बनते उन लोगों को मारना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बातें ईश्वर की नहीं हो सकती । श्रेष्ठ गैर मुसलमानों से शत्रुता और दुष्ट मुसलमानों से मित्रता , जन्नत में अनेक औरतों और लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं । अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहब निर्दयी , राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थें , एवं इस्लाम से अधिक अशांति फैलाने वाला दुष्ट मत दसरा और कोई नहीं । इस्लाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ , दुराग्रह , ईर्ष्या विवाद और विरोध घटाने के लिए लिखा गया , न कि इसको बढ़ाने के लिए । सब सज्जनों के सामन रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहण करना और बुराई को त्यागना है ।।
-- सत्यार्थ प्रकाश १४ वां समुल्लास विक्रमी २०६१
महर्षि अरविन्द:-
हिन्दू मुस्लिम एकता असम्भव है क्योंकि मुस्लिम कुरान मत हिन्दू को मित्र रूप में सहन नहीं करता । हिन्दू मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओं की गुलामी नहीं होना चाहिए । इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं ।किसी दिन हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ने हेतु तैयार होना चाहिए । हम भ्रमित न हों और समस्या के हल से पलायन न करें । हिन्दू मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध के खतरे की सम्भावना है । ।
--ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्द पृष्ठ २९१-२८९-६६६
सरदार वल्लभ भाई पटेल:-
मैं अब देखता हूं कि उन्हीं युक्तियों को यहां फिर अपनाया जा रहा है जिसके कारण देश का विभाजन हुआ था । मुसलमानों की पृथक बस्तियां बसाई जा रहीं हैं । मुस्लिम लीग के प्रवक्ताओं की वाणी में भरपूर विष है । मुसलमानों को अपनी प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए । मुसलमानों को अपनी मनचाही वस्तु पाकिस्तान मिल गया हैं वे ही पाकिस्तान के लिए उत्तरदायी हैं , क्योंकि मुसलमान देश के विभाजन के अगुआ थे न कि पाकिस्तान के वासी । जिन लोगों ने मजहब के नाम पर विशेष सुविधांए चाहिंए वे पाकिस्तान चले जाएं इसीलिए उसका निर्माण हुआ है । वे मुसलमान लोग पुनः फूट के बीज बोना चाहते हैं । हम नहीं चाहते कि देश का पुनः विभाजन हो ।
-संविधान सभा में दिए गए भाषण का सार ।
बाबा साहब भीम राव अंबेडकर:-
हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है । यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं । साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा । विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी । पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है । मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है । कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसीलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है । मुसलामनों के निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है । इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता । संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया । कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है । गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है । इस्लामी कानून समान सुधार के विरोधी हैं । धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते । मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती । वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते ।
- प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड १५१
गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर:-
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है । वे अपनी राष्ट्र भक्ति गैर मुस्लिम देश के प्रति नहीं रख सकते । वे संसार के किसी भी मुस्लिम एवं मुस्लिम देश के प्रति तो वफादार हो सकते हैं परन्तु किसी अन्य हिन्दू या हिन्दू देश के प्रति नहीं । सम्भवतः मुसलमान और हिन्दू कुछ समय के लिए एक दूसरे के प्रति बनवटी मित्रता तो स्थापित कर सकते हैं परन्तु स्थायी मित्रता नहीं ।
- रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृच्च्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर
मोहनदास करम चन्द्र गांधी:-
मेरा अपना अनुभव है कि मुसलमान कूर और हिन्दू कायर होते हैं मोपला और नोआखली के दंगों में मुसलमानों द्वारा की गयी असंख्य हिन्दुओं की हिंसा को देखकर अहिंसा नीति से मेरा विचार बदल रहा है ।
-गांधी जी की जीवनी, धनंजय कौर पृष्ठ ४०२ व मुस्लिम राजनीति श्री पुरूषोत्तम योग
लाला लाजपत राय:-
मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढ़ने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है । मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिन्दुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओं के साथ एक नहीं हो सकते । क्या कोई मुसलमान कुरान के विपरीत जा सकता है ? हिन्दुओं के विरूद्ध कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा की क्या हमें एक होने देगी ? मुझे डर है कि हिन्दुस्तान के ७ करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान , मध्य एशिया अरब , मैसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगें।
- पत्र सी आर दास बी एस ए वाडमय खण्ड १५ पृष्ठ २७५
राजा राममोहन राय:-
मुसलमानों ने यह मान रखा है कि कुरान की आयतें अल्लाह का हुक्म हैं । और कुरान पर विश्वास न करने वालों का कत्ल करना उचित है । इसी कारण मुसलमानों ने हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार किए , उनका वध किया , लूटा व उन्हें गुलाम बनाया ।
- वाङ्मय-राजा राममोहन राय पृष्ट ७२६-७२७
इसके बाद भी यदि हम भयमुक्त होकर अनुशासन को अपनाते हुए अपने ब्रेक पर से दबाव नहीं कम करते है तो भविष्य क्या होगा समय हो तो अभी सोचें अन्यथा देर हो जायेगी। समय व्यर्थ करने से नहीं सदूपयोग करने से शांति मिलेगी।