Tuesday, 26 July 2016

ब्राह्मणत्व से हिंदुत्व और हिंदुत्व से पूरे ब्रह्माण्ड को अपने में समाहित करें..!!!

आप सोच रहे होंगे आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान की बात करते करते मैं सर्व ब्राह्मण उत्थान समिति की बातें कैसे करने लगा? सबसे पहले यह समझना होगा कि आदर्श व्यवस्था निर्भीक संविधान की परिकल्पना है कि प्राकृतिक संविधान जहाँ किसी में भी भेदभाव नहीं हो जैसे आँधी या सुनामी आती है तो क्या प्रकृत यह देखती है कि सामने दलित, ब्राह्मण, हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई, शेर, हाथी, कुत्ता या बिल्ली है वह सबके साथ समान व्यवहार करती है। लेकिन एक बात है जंगल में हिरन भी रहता है शेर भी, स्वाभाविक है कि शेर हिरन का शिकार करेगा तो क्या प्रकृत का संविधान शेर को सजा देता है ? नहीं न फिर तो हिरन के साथ अन्याय हुआ, तो ऐसे संविधान से क्या लाभः..? मगर शेर को सजा दिया गया तो शेर क्या खायेगा..? बगैर खाये भूखे एक दिन मर जायेगा, तो क्या शेर के साथ अन्याय नहीं हुआ...? फिर तो प्राकृतिक संविधान बनना असम्भव होगा। कभी ऐसे ही ख्याल मुझे भी आते थे मगर अब मैं सोचता हूँ संभव है। क्योंकि संविधान मानव हित के साथ साथ अन्य सभी प्राकृतिक प्राणियों, वस्तुओँ पर दयावान होगा तो किसी भी प्रकार की कोई अड़चन नहीं होगी।

अब आप सोचें आज की प्राकृतिक ढांचा क्या है क्या ब्राह्मण उस ढांचे से अलग है तो ब्राह्मण हित की बात तो अनुचित नहीं होगी मगर सिर्फ ब्राह्मण हित और मानव अहित कभी भी उचित नहीं, मगर कभी भी कही भी कुछ हासिल करना है तो छोटी छोटी मंजिले पार करनी होती है, जिसने घर की चौखट नहीं पार की वह कभी रास्ते पर नहीं होगा और बगैर रास्ते पर आये कोई मंजिल नहीं मिलती और जब पहली मंजिल मिलती है तो इंसान सोचता है मेरा मकसद ये नहीं उसे पाना था और कूच कर देता है अगली मंजिल के लिए।

आप सभी वर्ग धर्म के लोग एक अपने आस पास छोटे छोटे समूह से जुटे और उसका नेतृत्व करें! नेतृत्व करने वाले का कर्तव्य है कि वह अपने से बड़े समूह से जुड़े और अपने साथियों को जोड़े, तभी सेल्फ एंड मचुअल डेवलपमेंट की बात होगी। कभी भी जाति आधारित समूह होना असामाजिक नहीं यदि मकसद सामाजिक है तो ब्राह्मणों ने सदैव बोला है मेरा कल्याण हो मेरी जाति का कल्याण हो मेरे धर्म का कल्याण हो और पूरे विश्व का कल्याण हो, इसीलिए आज हिन्दू धर्म विद्वानों का धर्म है। इससे अधिक दार्शनिक धर्म कोई नहीं इसीलिये कुछ विद्वानों ने यहाँ तक कहा कि एक दिन हिंदुत्व ही बचेगा भले ही उसका नाम कुछ अलग हो मगर विचार यही होगा।

पढ़े इन पश्चिमी philosophers को :-

1. *लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):*

"हिन्दू और हिन्दुत्व ही एक दिन दुनिया पर राज करेगी, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।

2. *हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946):*

" हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा। तभी एक दिन पूरी दुनिया उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनिया आबाद होगी। सलाम हो उस दिन को "।

3. *अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955):*

"मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।

4. *हस्टन स्मिथ (1919):*

"जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनिया में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"।

5. *माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566):*

" हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।

6. *बर्टरेंड रसेल (1872 - 1970):*

"मैंने हिन्दुत्व को पढ़ा और जान लिया कि यह सारी दुनिया और सारी मानवता का धर्म बनने के लिए है । हिन्दुत्व पूरे यूरोप में फैल जाएगा और यूरोप में हिन्दुत्व के बड़े विचारक सामने आएंगे । एक दिन ऐसा आएगा कि हिन्दू ही दुनिया की वास्तविक उत्तेजना होगा "।

7. *गोस्टा लोबोन (1841 - 1931):*

" हिन्दू ही सुलह और सुधार की बात करता है । सुधार ही के विश्वास की सराहना में ईसाइयों को आमंत्रित करता हूँ"।

8.  *बरनार्ड शा (1856 - 1950):*

"सारी दुनिया एक दिन हिन्दू धर्म स्वीकार कर लेगी । अगर यह वास्तविक नाम स्वीकार नहीं भी कर सकी तो रूपक नाम से ही स्वीकार कर लेगी। पश्चिम एक दिन हिन्दुत्व स्वीकार कर लेगा और हिन्दू ही दुनिया में पढ़े लिखे लोगों का धर्म होगा "।

9. *जोहान गीथ (1749 - 1832):*

"हम सभी को अभी या बाद मे हिन्दू धर्म स्वीकार करना ही होगा । यही असली धर्म है ।मुझे कोई हिन्दू कहे तो मुझे बुरा नहीं लगेगा, मैं यह सही बात को स्वीकार करता हूँ ।"

पुरे मानवता के कल्याण हेतु एक दूसरे से प्रेम भाव रखना और जुड़ना ही मात्र एक उपाय है इसलिए सदैव जुड़ने का प्रयास करें टूटने का नहीं जो भी आप को जोड़े उसके साथ जुड़े...!

Thursday, 21 July 2016

हिन्दू हित का शपथ लिया याद वह दिलाने निकला हूँ, यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।

वीरों की है जन्म भूमि इतिहास बताने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।
गुरु गोविंद सिंह के दो बेटे चुनवा गए दीवारों में,
दो वीरगति को प्राप्त हुए जो वीर रहे हजारों में।
माँ बोली चारो बेटों ने कर दी मेरी गोद को सुनी,
खड़े हजारों बेटों ने गुरु का सम्मान करी दूनी।
गुरु ने बोला ऐ भारत माँ ना थे वे मेरे चार,
मेरे तो ये बेटे देखो आज खड़े है कई हजार।
भारत के लालों का स्वभिमान बताने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।।

ऐसी सीख सिखाया गुरु ने जाग उठा पंजाब,
भीख मांगने से अच्छा कर्म से छीनो ख़वाब।
पंजाबी ने मन में बस एक ही बात को ठानी है,
बिना परिश्रम रोटी खाये सबसे बड़ा अज्ञानी है।
ऐसे पंजाब को कुछ लोगों ने लालच में डूबाया,
हिन्दू हित की बात परे भारत माँ को भुलवाया।
धरती वीर भगत सिंह की जगह नहीं गद्दारों की,
देश की खातिर जान लुटाना हसरत है दिलदारों की।
आज मैं उसको गुरु की याद दिलाने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।

बंदेमातरम दूर रहा अब भारत माता से परहेज,
कश्मीर में जले तिरंगा कहते आजादी है खेद।
गौ माताकी पूछ कहाँ जब राष्ट्रगान स्वीकार नहीं,
जिस पैसों से हज पर जाएं दाग़ लगाएं बैठ वही।
हिंदुस्तान की रोटी पर अपना अधिकार जताते है,
वही लोग भारत माँ को डायन कहकर बुलाते है।
जन्नत जाने वालों का हम आज टिकट कटवाएंगे,
पत्थर फेंकने वाले सुन लें हम फूल नहीं वर्षायेगें।
भारत का हरेक सिपाही तुझे सिखाने निकला है,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।

पाकिस्तान डराता सूरज को लेकर कुछ अंगारे,
मुस्लिम वोट पर मर मिटते कुछ नेता चोर हमारे।
ये दुशाद अब बोल रहे करवा लो जन मत संग्रह,
जूते मारो इन दुष्टों को करने आया हूँ मैं आग्रह।
तीन सौ सत्तर की खातिर देश का साथ निभाओ,
देशद्रोही आयेगा वोट मांगने जूते मार भगाओ।
दूध पिलाना बंद करूँगा अब आस्तीन के साँपों को,
चौराहों पर गोली चलवा दूँगा सत्तर साल के पापों को।
हिन्दू हित का शपथ लिया याद वह दिलाने निकला हूँ,
यूपी की माटी से चल पंजाब सुनाने निकला हूँ।

Wednesday, 13 July 2016

भय ब्रेक और अनुशासन में क्या अन्तर है..??

हिन्दू जब भावनाओं में बहता है तो साधू संत योगी बनकर समाज की सेवा करता है मगर मुस्लिम आतंकी बन दुष्टता, अत्याचार, अपराध को गले लगता है क्यों?? क्या कभी आपने सोचा है, नहीं तो आगे पढ़े! हर इन्सान में डर होता है अपने अधिकारों के प्रति जब यही भय या डर को फियर बोले तो, (Fear) का दो व्याख्या है एक Forget Everything And Run दूसरा  Face Everything And Rise समस्याओं की अनदेखी करो और आगे बढ़ो, या समस्यायों पर विजय प्राप्त करते हुए संघर्ष करो। दोनों चीजे आपके पास है चुनना आपको है जैसी जिंदगी जीना है वैसी चयन करें। मगर एक बात नहीं भुलानी चाहिए कि आँख बंद कर लेने से अँधेरा नहीं हो जाता है। आज हमारे समाज में कुछ ऐसा ही दृश्य देखने में आता है कि लोग अपनी सुविधानुसार आँखे खोलते और बंद करते है और कहते है देश बदल रहा है, मेरा देश बिगड़ रहा है। और सुख की अनुभूति नहीं होती क्योंकि हम सुख प्राप्ति हेतु कपड़े बदलते है, गाड़ी बदलते है, दोस्त बदलते है, मकान बदलते है मगर स्वभाव नहीं बदलते और चाहते है संतुष्टि मिल जाय दुःख छट जाय सुख आ जाय।

सुख की खोज में दिन रात भटकता इंसान जब कुछ ज्ञान अर्जित कर लेता है तब भयमुक्ति का मार्ग खोजता है, क्योंकि जब तक भय है तब तक हम आगे नहीं बढ़ सकते ऐसे में जीने के लिए अनुशासन जिसे टेक्निकल भाषा में ब्रेक बोलते है। जैसे किसी गाड़ी में ब्रेक होता है, जो सिर्फ और सिर्फ गाड़ी को रोकता है जब भी ब्रेक कार्य शुरू करेगा तो गाड़ी चल नहीं सकती मगर ब्रेक भी उतना ही जरुरी है जितना गाड़ी में इंजन। यदि ड्राइवर ब्रेक लगाकर बैठे तो गाड़ी नहीं चलेगी जिसे कहते है भय। समयानुसार उचित मार्ग देखकर ब्रेक पर से दबाव समाप्त करना और गतिवर्धन के लिए इंजन को उत्तेजित करने को ही अनुशासन कहते है। यही अनुशासन ज्ञान पर आधारित होता है जो हमें हमारे धार्मिक ग्रन्थों से मिलता है।

अतीत में जो कुछ भी हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ, जो कुछ हो रहा है, अच्छा हो रहा है, जो भविष्य में होगा, अच्छा ही होगा। अतीत के लिए मत रोओ, अपने वर्तमान जीवन पर ध्यान केंद्रित करो , भविष्य के लिए चिंता मत करो।
जन्म के समय में आप क्या लाए थे जो अब खो दिया है? आप ने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया है?  जब आप पैदा हुए थे, तब आप कुछ भी साथ नहीं लाए थे।  आपके पास जो कुछ भी है,  आप को इस धरती पर भगवान से ही प्राप्त हुआ है।  आप इस धरती पर जो भी दोगे, तुम भगवान को ही दोगे।  हर कोई खाली हाथ इस दुनिया में आया था और खाली हाथ ही उसी रास्ते पर चलना होगा। सब कुछ केवल भगवान के अंतर्गत आता है।
आज जो कुछ आप का है,  पहले किसी और का था और भविष्य में किसी और का हो जाएगा। परिवर्तन संसार का नियम है।
आप एक अविनाशी आत्मा हैं और एक मृत्युमय शरीर नहीं है।  शरीर पांच तत्वों से बना है - पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश।  एक दिन शरीर इन तत्वों में लीन हो जाएगा।
आत्मा अजन्म है और कभी नहीं मरता है।  आत्मा मरने के बाद भी हमेशा के लिए रहता है।  तो क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? आप किस बात से डर रहे हैं?  कौन तुम्हें मार सकता है?
केवल सर्वशक्तिमान ईश्वर के लिए अपने आप को समर्पित करो।  जो भगवान का सहारा लेगा, उसे हमेशा भय, चिंता और निराशा से मुक्ति मिलेगी।

मुस्लिमों के विषय में हमारे अनेकों महापुरुषों ने अपनी विचारधारा को हमें बताया है।

स्वामी विवेकानन्द:-
ऎसा कोई अन्य मजहब नहीं जिसने इतना अधिक रक्तपात किया हो और अन्य के लिए इतना क्रूर हो । इनके अनुसार जो कुरान को नहीं मानता कत्ल कर दिया जाना चाहिए । उसको मारना उस पर दया करना है । जन्नत ( जहां हूरे और अन्य सभी प्रकार की विलासिता सामग्री है ) पाने का निश्चित तरीका गैर ईमान वालों को मारना है । इस्लाम द्वारा किया गया रक्तपात इसी विश्वास के कारण हुआ है ।
---कम्प्लीट वर्क आफ विवेकानन्द वॉल्यूम २ पृष्ठ २५२

महर्षि दयानन्द सरस्वती:-
इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लूट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना शबाब का काम हैं । जो मुसलमान नहीं बनते उन लोगों को मारना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बातें ईश्वर की नहीं हो सकती । श्रेष्ठ गैर मुसलमानों से शत्रुता और दुष्ट मुसलमानों से मित्रता , जन्नत में अनेक औरतों और लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं । अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहब निर्दयी , राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थें , एवं इस्लाम से अधिक अशांति फैलाने वाला दुष्ट मत दसरा और कोई नहीं । इस्लाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ , दुराग्रह , ईर्ष्या विवाद और विरोध घटाने के लिए लिखा गया , न कि इसको बढ़ाने के लिए । सब सज्जनों के सामन रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहण करना और बुराई को त्यागना है ।।

-- सत्यार्थ प्रकाश १४ वां समुल्लास विक्रमी २०६१

महर्षि अरविन्द:-
हिन्दू मुस्लिम एकता असम्भव है क्योंकि मुस्लिम कुरान मत हिन्दू को मित्र रूप में सहन नहीं करता । हिन्दू मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओं की गुलामी नहीं होना चाहिए । इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं ।किसी दिन हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ने हेतु तैयार होना चाहिए । हम भ्रमित न हों और समस्या के हल से पलायन न करें । हिन्दू मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध के खतरे की सम्भावना है । ।
  --ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्द पृष्ठ २९१-२८९-६६६

सरदार वल्लभ भाई पटेल:-
मैं अब देखता हूं कि उन्हीं युक्तियों को यहां फिर अपनाया जा रहा है जिसके कारण देश का विभाजन हुआ था । मुसलमानों की पृथक बस्तियां बसाई जा रहीं हैं । मुस्लिम लीग के प्रवक्ताओं की वाणी में भरपूर विष है । मुसलमानों को अपनी प्रवृत्ति में परिवर्तन करना चाहिए । मुसलमानों को अपनी मनचाही वस्तु पाकिस्तान मिल गया हैं वे ही पाकिस्तान के लिए उत्तरदायी हैं , क्योंकि मुसलमान देश के विभाजन के अगुआ थे न कि पाकिस्तान के वासी । जिन लोगों ने मजहब के नाम पर विशेष सुविधांए चाहिंए वे पाकिस्तान चले जाएं इसीलिए उसका निर्माण हुआ है । वे मुसलमान लोग पुनः फूट के बीज बोना चाहते हैं । हम नहीं चाहते कि देश का पुनः विभाजन हो ।
     -संविधान सभा में दिए गए भाषण का सार ।

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर:-
हिन्दू मुस्लिम एकता एक अंसभव कार्य हैं भारत से समस्त मुसलमानों को पाकिस्तान भेजना और हिन्दुओं को वहां से बुलाना ही एक हल है । यदि यूनान तुर्की और बुल्गारिया जैसे कम साधनों वाले छोटे छोटे देश यह कर सकते हैं तो हमारे लिए कोई कठिनाई नहीं । साम्प्रदायिक शांति हेतु अदला बदली के इस महत्वपूर्ण कार्य को न अपनाना अत्यंत उपहासास्पद होगा । विभाजन के बाद भी भारत में साम्प्रदायिक समस्या बनी रहेगी । पाकिस्तान में रुके हुए अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा कैसे होगी ? मुसलमानों के लिए हिन्दू काफिर सम्मान के योग्य नहीं है । मुसलमान की भातृ भावना केवल मुसमलमानों के लिए है । कुरान गैर मुसलमानों को मित्र बनाने का विरोधी है , इसीलिए हिन्दू सिर्फ घृणा और शत्रुता के योग्य है । मुसलामनों के निष्ठा भी केवल मुस्लिम देश के प्रति होती है । इस्लाम सच्चे मुसलमानो हेतु भारत को अपनी मातृभूमि और हिन्दुओं को अपना निकट संबधी मानने की आज्ञा नहीं देता । संभवतः यही कारण था कि मौलाना मौहम्मद अली जैसे भारतीय मुसलमान भी अपेन शरीर को भारत की अपेक्षा येरूसलम में दफनाना अधिक पसन्द किया । कांग्रेस में मुसलमानों की स्थिति एक साम्प्रदायिक चौकी जैसी है । गुण्डागर्दी मुस्लिम राजनीति का एक स्थापित तरीका हो गया है । इस्लामी कानून समान सुधार के विरोधी हैं । धर्म निरपेक्षता को नहीं मानते । मुस्लिम कानूनों के अनुसार भारत हिन्दुओं और मुसलमानों की समान मातृभूमि नहीं हो सकती । वे भारत जैसे गैर मुस्लिम देश को इस्लामिक देश बनाने में जिहाद आतंकवाद का संकोच नहीं करते ।
- प्रमाण सार डा अंबेडकर सम्पूर्ण वाग्मय , खण्ड १५१

गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर:-
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है । वे अपनी राष्ट्र भक्ति गैर मुस्लिम देश के प्रति नहीं रख सकते । वे संसार के किसी भी मुस्लिम एवं मुस्लिम देश के प्रति तो वफादार हो सकते हैं परन्तु किसी अन्य हिन्दू या हिन्दू देश के प्रति नहीं । सम्भवतः मुसलमान और हिन्दू कुछ समय के लिए एक दूसरे के प्रति बनवटी मित्रता तो स्थापित कर सकते हैं परन्तु स्थायी मित्रता नहीं ।
- रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृच्च्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर

मोहनदास करम चन्द्र गांधी:-
मेरा अपना अनुभव है कि मुसलमान कूर और हिन्दू कायर होते हैं मोपला और नोआखली के दंगों में मुसलमानों द्वारा की गयी असंख्य हिन्दुओं की हिंसा को देखकर अहिंसा नीति से मेरा विचार बदल रहा है ।
-गांधी जी की जीवनी, धनंजय कौर पृष्ठ ४०२ व मुस्लिम राजनीति श्री पुरूषोत्तम योग

लाला लाजपत राय:-
मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढ़ने के पश्चात मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है । मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिन्दुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओं के साथ एक नहीं हो सकते । क्या कोई मुसलमान कुरान के विपरीत जा सकता है ? हिन्दुओं के विरूद्ध कुरान और हदीस की निषेधाज्ञा की क्या हमें एक होने देगी ? मुझे डर है कि हिन्दुस्तान के ७ करोड़ मुसलमान अफगानिस्तान , मध्य एशिया अरब , मैसोपोटामिया और तुर्की के हथियारबंद गिरोह मिलकर अप्रत्याशित स्थिति पैदा कर देंगें।
- पत्र सी आर दास बी एस ए वाडमय खण्ड १५ पृष्ठ २७५
राजा राममोहन राय:-
मुसलमानों ने यह मान रखा है कि कुरान की आयतें अल्लाह का हुक्म हैं । और कुरान पर विश्वास न करने वालों का कत्ल करना उचित है । इसी कारण मुसलमानों ने हिन्दुओं पर अत्यधिक अत्याचार किए , उनका वध किया , लूटा व उन्हें गुलाम बनाया ।
  - वाङ्मय-राजा राममोहन राय पृष्ट ७२६-७२७

इसके बाद भी यदि हम भयमुक्त होकर अनुशासन को अपनाते हुए अपने ब्रेक पर से दबाव नहीं कम करते है तो भविष्य क्या होगा समय हो तो अभी सोचें अन्यथा देर हो जायेगी। समय व्यर्थ करने से नहीं सदूपयोग करने से शांति मिलेगी।

Tuesday, 12 July 2016

अज्ञानता नफ़रत रूढवादिता से उपजी ग़रीबी

अधिक बच्चे पैदाकर गरीबी के कारण उचित परवरिस न दे पाना।
गरीब बच्चों का आतंक प्रचारक हरामी मुल्लों के सम्पर्क में आना।।
हर अमन पसंद हिंदुस्तानी के लिए कफ़न का इंतजाम कर रहा है।
आतंक इतनी तेजी से बढ़ रहा है मगर अफशोस हिंदुस्तान सो रहा है।।

हर साधारण व्यक्ति यही सोचता है जो कुछ हो रहा है वह स्वाभाविक है, ऐसी परिस्थिति में अपने लिए जो कुछ भी स्वार्थसिद्धि हो जाय वही बेहतर है लेकिन यही ख़याल हमें और भी कठिन और दुर्लभ मार्ग प्रदान करता है। जैसे स्कूलों में विद्यार्थियों को नक़ल कराना, नक़ल से डिग्री लिए लोगों को सफल बनाना। हमें यह सब साधारण सी बात लगती है मगर ये उतनी साधारण है नहीं जितनी दिखती है, क्योंकि इन बातों के पीछे अच्छीखासी प्लानिंग होती है राजनैतिक मैनेजरों की, आप सोंचते होंगे नेताजी इतना सीधासाधा है इनके पास इतना शातिर दिमाग हो ही नहीं सकता, तो आप ज्यादा कुछ गलत नहीं सोचते है, हर पार्टी, हर बड़े नेता के पास योग्य प्लानर, मेनेजरर्स होते है जो इस तरह की बातों को सोचते है और करवाते है। समाज में किसी भी एक अयोग्य व्यकि की नौकरी लगवाने के पीछे मकसद होता है कि शिक्षा प्रणाली को कमजोर बनाना वर्ना यदि लोग जानने समझने लगे तो बेवकूफ बनाना मुश्किल होगा, दूसरा लक्ष्य होता है लोगो को लालची बनाना, आसानी से कोई मंजिल मिल जाना उतना ही घातक है समाज के लिए जितना की किसी भरी भीड़ में बम विष्फोट होने पर कुछ का मरना और कुछ का बच जाना। यही सब हमें आजादी के बाद से मिला है जिसके लिए स्वार्थी नेताओं का हाल कुछ बिगड़ सा गया है। और अब उनके ख्यालात कुछ ऐसे हो गए है।

हम पांच नहीं पच्चीस राज्य हारेंगे।
मगर अपनी आदत नहीं सुधारेगें।।

बाटला हॉउस एन्कोउन्टर पर सोनिया जी फूट फूट कर रोयीं।
सलमान खुर्शीद बोले ऐसे कुकर्मो से कभी कांग्रेस ने सत्ता नहीं खोई।।

हजारों वर्षो से विदेशी शासको ने हिन्दुस्तानियों का संघार किया।
कांग्रेस ने भगवा आतंक बता मुस्लिम आतंकियों का उद्धार किया।।

विदेशी शासको और कांग्रेसी शासको के अत्याचार में बस एक ही अंतर।
विदेशियों ने हिन्दुस्तान लूटा और कांग्रेस ने हिंदुओ के पेट में भोका खंजर।।

कांग्रेस ने देश लूटने के लिए सेक्युलेरिस्म का लुटेरों को पाठ दिया।
और सारे हरामी लालची हिंदुओ ने ऐसे लोगों का ही तलवा चाट लिया।।

यही लालचिपन से ही जन्म लेता है आतंक और आतंक ही नहीं सारी असामाजिक समस्याएं,अभी हम उस आतंकवाद की बात कर रहे है जिसे अमेरिका में टेररिज्म, पाकिस्तान में ज़िहाद और हिंदुस्तान में सेक्यूलेरिज्म बोला जाता है। क्योंकि लोग सोचते है मौत को मेरे घर का पता ठिकाना ज्ञात नहीं वह मेरे घर आ ही नहीं सकती, यही भ्रम है जो अपराध को अमृत पिलाता है। लेकिन सोचने की बात है कि क्या हमारी अज्ञानता हमें बेहतर भविष्य प्रदान करेगी? कभी नहीं हमें उन लोगो को समझाना चाहिए जो ग़रीबी को अपनी जीवनी समझने लगे है, जो लोग यह सोचते है कि दस बच्चे होंगे और एक एक हजार भी कमाकर देगें तो दस हजार का इनकम होगा। दसों भीख भी मांगेंगे तो नहीं कुछ पांच हजार तो बचाएंगे ही, यही ऐसे ही कुछ विचार आते है ग़रीबो को ग़रीबी में। इतने ही विचार से समाज को पूरा नुकसान नहीं, नुकसान तो तब शुरू होता है जब इन्हें गरीब बनाने वाला इनका आका मिल जाता है जो ज्ञान देकर ज्यादा बच्चे पैदा करवाता है, वही इनके दिलों में नफ़रत पैदा करता है, इंसानो को इंसानो से अमीरी गरीबी के नाम पर जाति के नाम पर, धर्म के नाम पर लड़वाता है। सोचने की बात है लड़ने वाला सिर्फ और सिर्फ जेल या मौत को गले लगता है और लड़वाने वाला नेता मंत्री या धर्म गुरु बन जाता है।

आज कल एनजीओज़ भी इस तरह चल रहे है। एक एनजीओज किसी भी एक गांव के लोगो के बारे में भलीभांति जानकारी हासिल करता है जिस व्यक्ति को टारगेट करना होता है उसका भूत वर्तमान और भविष्य अच्छी तरह पढ़ता है फिर उस गांव में जाकर बच्चों को टाफियां, बड़ो को कुछ गिफ्ट और बूढ़ो के ऊपर खूब प्यार लुटाता है और बताता है कि हमें अल्ला ने भेजा है आप सभी लोगो की मदत के लिए, इतना कहते हुए अपने टार्गेटेड व्यक्ति को बुलवाता है उसका सारा भूतकाल बताता है तो लोग और भी अल्ला पर विश्वास करने लगते है तो एनजीओ वाला बोलता है अल्ला ने अभी एक व्यक्ति को मेरे द्वारा मदत भेजा है और बोला है आप सभी अल्ला की शरण में आ जाओ तब अल्ला खुद आकार सीधा आप सभी की मदत करेगा। एक व्यक्ति की मदत होते देख सभी लोगो के मन में लालच बढ़ता है और हो सकता है ठगे न जाय परंतु कुछ ठगे भी जाते है। ठगे जानेवाला कुछ नहीं पाता है मगर एनजीओ वाला जरूर मालामाल हो जाता है।

सब का एक ही मकसद है इन्सानो में नफ़रत बढ़ाकर अपने को धनवान होना। आप चाहे तो लोगो में जागरूकता ला सकते है भीख मांगने वाले अक्सर मिलते होंगे उन्हें मदत दे मगर बगैर उपदेश दिए भीख देना एक और भिखारी उत्पन्न करता है। आप बोलेंगे कि मेरे पास टाइम नहीं है, भाई जब पैसा आपने कमाया तो टाइम लगा था या हराम का मिल गया? यदि हराम का मिला तो कोई बात नहीं यदि मेहनत लगी हो तो उसका सदुपयोग करें बर्बाद नहीं। औरतें बच्चों से भीख मंगवाते मिल जाती है उनकी भी मदत करें मगर गर्भनिरोधक गोली भी साथ में दे जो सरकारी अस्पतालों पर मुफ़्त भी मिलती है उसे अपने पास टॉफी जैसा रखें। हर किसी एनजीओज का भलीभांति तहक़ीक़ात करें और गलत एनजीओज की जानकारी पुलिस या सम्बंधित विभाग को दें!आपका एक प्रयास अमीरी ग़रीबी के बीच की खाई कम कर सकता है इंसानो के बीच बढ़ रहे नफ़रत को मिटा सकता है।

Friday, 8 July 2016

गुलामों को गुलामी का एहसास नहीं होता

कभी कभी अचानक दिल में ख़याल आता है कि हम भी काश चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, वीर सावरकर आदि होते परन्तु न तो अब अंग्रेज सरकार है और न मुग़ल बादशाह फिर तो ख्वाइस पूरी हो तो कैसे हो। खास बात ये है कि ऐसे विचार तब आते है जब हम भगत सिंह या सुखदेव आदि जैसे क्रांतिकारियों के बारे में पढ़ते या सुनते है, तब जी करता है अनायास ही जिए जा रहे है, न तो कोई रस है और न कोई कड़वापन फिर किस बात की जिंदगी क्या मजा है जीने में जब अलग एहसास नहीं है सीने में। परन्तु निराश ना हो ऐ जिन्दगी मुग़ल साम्राज्य ना सही अत्याचार का अन्त भी नहीं फिर करने को तो बहुत है मगर जीवन ही छोटा है शायद कर पाऊ या नहीं यही उलझन भी होती है मगर जितने दिन प्रारम्भ करने में गुजार रहा हूँ उतने तो कम ही हो रहे है, किसी ने क्या खूब कहाँ उम्र छोटी नहीं अगर हम जीना देर से शुरु ना करें तो।

हाथ में झाड़ू सर पे सफ़ेद टोपी भ्रस्टाचार के कंधे से राजनीति में आये लोग।
आतंकी के मरने पर जनाजे में शामिल होकर आतंकी ही करते है वियोग।।

समाज में छिपे भेड़ियों को पहचान लेना सबसे बड़ी सफलता होती है। करने के लिए तो अभी भी बहुत कुछ है सिर्फ बंदूकों या तलवारों से ही युद्ध नहीं होता, सबके किरदार अलग अलग होते है यदि पिक्चर में सभी हीरो ही होंगे तो क्या पिक्चर बन सकती है हर कहानी में विभिन्न अदाएं होती है जहाँ खड़े है वही से अपना किरदार अदा करें! ज़िन्दगी जीने में देर हुई नहीं कि उम्र छोटी हो जायेगी।
ये जिंदगी नहीं है आसान सिर्फ प्रयास ही प्रयास है।
जीत यहाँ किसी को भी नहीं बस एक अभ्यास है।।
चुनौतियां ख़त्म होती नहीं फिर किस बात की जीत।
एक ही चुनौती बार बार आये तो मिलती है सीख।।
हार भी कुछ अजीब है क्योकि हार देती है तारीफ।
तारीफ़ मुर्दो की होती है जिन्दो को ये नहीं है नसीब।।
जीना है तो नीति के अनुसार साम, दाम, दण्ड, भेद क्रमशः अपनाएं! इसलिये सबसे पहले मित्रता पर विचार होना भी चाहिए और कैसी मित्रता? जैसे दूध और पानी की....।पानी ने दूध से मित्रता की और उसमे समा गया..।

जब दूध ने पानी का समर्पण देखा तो उसने कहा- मित्र तुमने अपने स्वरुप का त्याग कर मेरे  स्वरुप को धारण किया है....।
अब मैं भी मित्रता निभाऊंगा और तुम्हे अपने मोल बिकवाऊंगा।
दूध बिकने के बाद जब उसे उबाला जाता है तब पानी कहता है..।
अब मेरी बारी है मै मित्रता निभाऊंगा और तुमसे पहले मै चला जाऊँगा.. । दूध से पहले पानी उड़ता जाता है।
जब दूध मित्र को अलग होते देखता है, तो उफन कर गिरता है और आग को बुझाने लगता है।
जब पानी की बूंदे उस पर छींट कर उसे अपने मित्र से मिलाया जाता है तब वह फिर शांत हो जाता है।
पर इस अगाध प्रेम में..थोड़ी सी खटास- निम्बू की दो चार बूँद, डाल दी जाए तो दूध और पानी अलग हो जाते हैं..।
समझ गए है, थोड़ी सी मन की खटास अटूट प्रेम को भी मिटा सकती है।
"क्या फर्क पड़ता है, हमारे पास कितने लाख, कितने करोड़, कितने घर, कितनी गाड़ियां हैं।"
खाना तो बस दो ही रोटी है, जीना तो बस एक ही ज़िन्दगी है। फर्क इस बात से पड़ता है, कितने पल हमने ख़ुशी से बिताये, कितने लोग हमारी वजह से खुशी से जीए। लेकिन ....। ये क़सीदे
झोली फैलाये बैठा हूँ कहने को कुछ अल्फ़ाज़ नहीं।
माँगू तो मैं क्या माँगू मुझे तेरे सिवा कुछ याद नहीं।।
तभी तक जब तक लोग प्यार की भाषा समझें अन्यथा टिट फ़ॉर टैट, गोली का जबाब तोप से, ईंट का जबाब पत्थर से जो गुलदस्ता देकर दगा करे उसकी कब्र पर उसी गुलदस्ते का फूल चढ़ाए, नेता हो या बेटा क्षमा या बर्दास्त की एक सीमा होती है। सीमा पार करने वाले को समय कभी माफ नहीं करता जिसने माफ़ किया वह सीमा पार हो जाता है। जिंदगी जिए घड़ी की सुइयों की तरह कोई मोटी कोई छोटी किसी की चाल तेज मगर जब दुश्मन के बारह बजाने हो तो सब एक साथ आ जाती है।