Thursday, 22 December 2016

शंकरु जगतबंद्य जगदीसा। सुर नर मुनि सब नावही सीसा।।

हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥

भगवान शिव कैलाश में दिन-रात राम-राम कहा करते थे। सती के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हो उठी। उन्होंने अवसर पाकर भगवान शिव से प्रश्न किया,

ऐसेही संसय कीन्ह भवानी। महादेव तब कहा बखानी।।
सतिहि ससोच जानी वृषकेतु। कही कथा सुंदर सुख हेतु।।

'आप राम-राम क्यों कहते हैं? राम कौन हैं?' भगवान शिव ने उत्तर दिया, 'राम आदि पुरुष हैं, स्वयंभू हैं, मेरे आराध्य हैं। सगुण भी हैं, निर्गुण भी हैं।' किंतु सती के कंठ के नीचे बात उतरी नहीं। वे सोचने लगीं, अयोध्या के नृपति दशरथ के पुत्र राम आदि पुरुष के अवतार कैसे हो सकते हैं? वे तो आजकल अपनी पत्नी सीता के वियोग में दंडक वन में उन्मत्तों की भांति विचरण कर रहे हैं। वृक्ष और लताओं से उनका पता पूछते फिर रहे हैं।
हे खग हे मृग मधुकर श्रेनी। तुम देखी सीता मृग नैनी।।
      यदि वे आदि पुरुष के अवतार होते, तो क्या इस प्रकार आचरण करते?

      सती ने अपने पति शिव जी पर विश्वास नहीं किया और मन में राम की परीक्षा लेने का विचार उत्पन्न हुआ। सीता का रूप धारण करके दंडक वन में जा पहुंची और राम के सामने प्रकट हुईं। 

भयऊ ईश मन छोभ बिसेखी। नयन उघारी सकल दिसि देखि।।

शंकरु जगतबंद्य जगदीसा।  सुर नर मुनि सब नावही सीसा।।

भगवान राम ने सती को सीता के रूप में देखकर कहा, 'माता, आप एकाकी यहाँ वन में कहां घूम रही हैं? बाबा विश्वनाथ कहां हैं?' राम का प्रश्न सुनकर सती से कुछ उत्तर देते न बना। वे अदृश्य हो गई और मन ही मन पश्चाताप करने लगीं कि उन्होंने व्यर्थ ही राम पर संदेह किया। राम सचमुच आदि पुरुष के अवतार हैं। सती जब लौटकर कैलाश गईं, तो भगवान शिव ने उन्हें आते देख पूछा क्या हुआ तो सती ने सीधा सीधा बताया कि कुछ नहीं आपने जो कहा कि श्री राम भगवान है वह सत्य है, मगर शिव जी अंतर्यामी सब कुछ उन्होंने देखा और कहा 'सती, तुमने सीता के रूप में राम की परीक्षा लेकर अच्छा नहीं किया। सीता मेरी आराध्या हैं। अब तुम मेरी अर्धांगिनी कैसे रह सकती हो! इस जन्म में हम और तुम पति और पत्नी के रूप में नहीं मिल सकते।'

सिवहि संभु गन करहिं सिंगारा। जटा मुकुट अहि मौर सँवारा।।

मनहीं मन महेसु मुसुकाहीं। हरि के बिंग्य बचन नहिं जाहीं।।

बिकट बेष रुद्रहि जब देखा। अबलन्ह उर भय भयउ बिसेषा।।

शिव संकल्प कीन्ह मनमाहि। यह तन सती भेट अब नाहि।।
       शिव जी का कथन सुनकर सती अत्यधिक दुखी हुईं, पर अब क्या हो सकता था। शिव जी के मुख से निकली हुई बात असत्य कैसे हो सकती थी?

सिय बेषु सतीं जो कीन्ह तेहिं अपराध संकर परिहरीं।
हर बिरहँ जाइ बहोरि पितु कें जग्य जोगानल जरीं।।

चरित सिंधु गिरिजा रमन बेद न पावहिं पारु।
बरनै तुलसीदासु किमि अति मतिमंद गवाँरु।।

रावण ने भी नारियों के बारे में कहा है कि
नारि स्वभाउ सत्य सब कहहि। अवगुन आठ सदा उर रहहि।।
    यह कथा सुनाने का मतलब विश्वास करना भी सीखें।

Sunday, 2 October 2016

पाकिस्तान का पैर कब्रिस्तान में।

तीन रूप पाकिस्तान दिखाए,
चीन पहुँच हिजड़ा बनी जाये,
कुत्ते की शक्ल कुत्ता कहलाये,
यू एन में जाकर पूँछ हिलाये,
गीदड़ भभकी हमें दिखाये,
हुआ हुआ कर हिन्द डराये,
गधा बुद्धि वह समझ न पाए,
जब भभके तब जूता खाये,
अबकी कुत्ता पागल हो गवा है,
लगी है झापड़ होश हवा है।
हाफ़िज बोला सर्जिकल सिखाएंगे,
पैजामा हुआ है गीला उसे सुखायेगे,
फिर कसके नाड़ा भी लगाएंगे,
मेरे सैनिकों तुम बुरा मत समझो,
तुम्हारी कब्र से जंनत की राह बनाएंगे,
अन्दर ही अन्दर एक सुरंग बनाएंगे,
चाँद की जगह झण्डे में कटोरा लगाएंगे,
हुरे नहीं मिली तो थुरे दिलाएंगे,
अभी हिंदुस्तानियों ने खोदा कुआँ है,
लगी है झापड़ होश हवा है।
सारे विदेशी फ़ोन कर रहे है,
नापाक सलामती दुआ कर रहे है,
चीन भी दुःखी है इन्वेस्टमेंट से,
पाकिस्तान के पिटते कॉमेंट से,
सभी कह रहे है कम्बख्त सुधार,
अन्यथा मेरा लौटा दे अभी उधार,
कर्जदारों की बातें ना कोई नवा है,
लगी है झापड़ होश हवा है।

Thursday, 29 September 2016

पाकिस्तान

हम भारतीय शेर का शिकार करनेवाले कभी कुत्तों को नहीं संघारे है।
दुश्मन जो सीना तानकर खड़ा हो मैदान में हम सदा उसी को मारे है।।
महिलाओं पर अत्याचार करनेवाले मर्दो की संगत क्या निभाएंगे।
जो कभी मुर्दा भी जला नहीं सकते वे हमें जिन्दा क्या जलाएंगे।।
हिन्दुस्तान की दया पर जिन्दा रहनेवालों तुम्हारे पास ना पानी है।
जितनी बार युद्ध किये हारे हो हर बार उसी की याद दिलानी है।।
कमर के नीचे तुम्हें जब भी देखा है तेरी तो पोशाक जनानी है।
पुरुषों के गुण नहीं तुझमें बिना मूछ के नारी यही तेरी कहानी है।।
हमने तुम्हे जितनी बार समझाया तू हर बार थोड़ा बहुत शर्माया।
निर्लज्ज हो तुम इतना कि मेरी दी हुई इज्जत तुझे रास ना आया।।
जैसे तुझे पाला पड़ोस में वैसे ही अपने देश में कुछ कुत्ते पाले है।
बखूबी हमें पहचान है उनकी जिन्हें तुमने कुछ हड्डियां डाले है।।
जब तक भूकता कुत्ता तब तक परवाह हम हिन्दुस्तानी नहीं करते।
मगर जब भूकते हुए नज़दीक आ जाये तभी हम वार है करते।।
कुत्ते भय से खुद भागके मरते जब क्रोधित होता हिन्दुस्तानी है।
कुत्ते हम कभी मारा नहीं करते ये हर हिंदुस्तानी की कहानी है।।
वे क्या लडेंगे हमसे जिन्होंने सीखा मुर्गे से सुबह उठ बाग़ लगाना।
हम मूछ का सम्मान करते है नहीं सीखा बकरों सा दाढ़ी बढ़ाना।।
तुम्हारी लड़ाई सूअर से जो तुमसे अधिक बच्चे पैदा कर लेती है।
हमें हर हाल में प्रेरणा हमारी भारत माँ या गऊ माता ही देती है।।

Thursday, 22 September 2016

प्रकृत से मिली हुई ब्रह्माण्ड की संपूर्ण शक्ति को महसूस करें.!

जो अमूल्य वस्तु आपको प्रकृत से मिली है उसका आपको एहसास नहीं, इसीलिये आप सदैव दूसरों से कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते है, क्योंकि आप इस धरती के है ही नहीं और धरती पर रहना चाहते है तो आपको रहने की इस चाहत की वजह से, प्रकृत द्वारा प्रदान की हुई अमूल्य वस्तु में से कुछ न कुछ गवाना पड़ता है। सीधी सी बात है इस दुनियां में मुफ्त कुछ भी नहीं मिलता, बीबी बच्चे भाई बंधू दोस्त हो या राशन कपड़ा मोटर गाड़ी टी वी मोबाइल या जल फल स्वास के लिए वायु आदि। कहते है कि क्या आप 100 रुपये का नोट खरीद सकते हो तो चकित ना होए आप खरीद सकते हो बस सौ रुपये की जगह 101 या 200 रुपये कुछ भी देना पड़ सकता है। मगर आपकी चाहत पूरी अवश्य होगी। यही चाहत ही आपके पतन का कारण है। यह बात समझना या समझना इतना आसान नहीं जितना मैं सोच रहा हूँ, मगर प्रयास तो करना ही चाहिए।
चाहत ही है जो हमें अपने होने वाले पतन को देखने नहीं देती जैसे जब हम पानी पीते है तो सोचते है कोई कीमत अदा नहीं की गई मगर जो कीमत आपने अदा की वह दिखी नहीं, क्योंकि पानी के साथ प्रकृत के बनाएं हुए कितने किटाडु आपके अंदर जीवन यापन करने के लिए प्रवेश किये, जीतनी देर पानी पिया उतनी उम्र कम हुई आदि वह नहीं दिखा। उसी तरह वायु हो या फल सबके सब कुछ न कुछ कीमत लेते है तो फिर इंसान या जानवर से कुछ लेंगे तो वह कीमत क्यों नहीं लेगा..? लेगा मगर आपको एहसास होने नहीं देगा और यही एहसास नहीं होने से आपका पतन एश्वर्य से होता है अन्यथा आप खुद ही भगवान है। समझ में नहीं आया तो यह कहानी पढ़े, शायद आपने पढ़ी भी हो।
एक आदमी ने भगवान बुद्ध  से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध  ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I

वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?

संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा"

आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"

आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला,  "50 लाख मे बेच दे" l

उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..

उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l

आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l

जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l

फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"

वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध  के पास आया l

अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?

बुद्ध  बोले : संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l

सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l

आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l

अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l

तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात - अपनी जानकारी -  अपनी हैसियत से लगाएगा।

घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।

अब अगर आप अपनी कीमत समझ गए हो तो स्वार्थ लालच चाहत से जितना दूर होंगे उतना कम ठगे जाएंगे, और ठगता कौन है जिसने आपसे अधिक यहाँ भौतिक वस्तुओँ का भण्डारण कर रखा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह आपसे श्रेष्ठ है, श्रेष्ठ तो वह है जिसने प्रकृत से मिले हुए खजाने को बचा रखा है।
इस धरती पर जीवित रहने मात्र से आपको लेना पड़ता है मगर ऐसा नहीं कि आपका एश्वर्य इससे कम होगा, आप खुलकर जीवन यापन करें..! यहाँ लेने वाले सिर्फ आप ही नहीं है जैसे आप दूसरों से लेते है वैसे ही दूसरे भी आप से लेते है, और जब आप दूसरों को देते है तो आपका एश्वर्य वापस आता है। सोचने समझने की बात यह है कि जीवन में लेना थोड़ देना ज्यादा होना चाहिए।

Wednesday, 21 September 2016

आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की। ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।

आज़ादी दिलवाने वालों के अब भी है पूत यहाँ।
भारत की ही धरती है आबाद है पाकिस्तान जहाँ।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।
कुछ अणु बम बनाकर अब फूल रहा है पाकिस्तान।
ग़लती पर ग़लती करता मिट जाएगा नामो निशान।।
हिन्दुस्तांन की आज़ादी में क़ुरबानी को वह भूल रहा।
कुछ हथियार इकठ्ठा कर ख़ुद ही सपनो में झूल रहा।।
हिंदुस्तान की धरती पर उसको वीरों की याद नहीं।
परास्त करके सुनी मोहम्मद गोरी की फ़रियाद यही।।
खुद भी जब युद्ध किया तो हर बार हार का रस चीखा।
मगर माफ़ी देने से इस पाकिस्तान का होता मुँह फीका।।
कश्मीर का सपना पाले हिन्दुस्तान से ही जल जायेगा।
ये पड़ोस के क़ाबिल कहाँ अब बलूचिस्तान ही आयेगा।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।

Sunday, 4 September 2016

सिन्धु नदी के बिना हिन्दू वैसा ही है जैसे जल बिन मीन, प्राण बिन शारीर।

भारत का विभाजन हुआ और संपूर्ण सिन्धु नदी पाकिस्तान को मिल गई और उससे जुड़ी संपूर्ण संस्कृति और धर्म को अब नष्ट कर दिया गया है। सिन्धु के बिना हिन्दू वैसे ही है, जैसे प्राण के बिना शरीर, अर्थ के बिना शब्द हैं। गंगा से पहले हिन्दू संस्कृति में सिन्धु और सरस्वती की ही महिमा थी। सिन्धु से ही हिन्दुओं का इतिहास है। सिन्धु का अर्थ जलराशि होता है। सिन्धु नदी का भारत और हिन्दू इतिहास में सबसे ज्यादा महत्व है। इसे इंडस कहा जाता है इसी के नाम पर भारत का नाम इंडिया रखा गया।

3,600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी और कई किलोमीटर चौड़ी इस नदी का उल्लेख वेदों में अनेक स्थानों पर है। इस नदी के किनारे ही वैदिक धर्म और संस्कृति का उद्गम और विस्तार हुआ है। वाल्मीकि रामायण में सिन्धु को महानदी की संज्ञा दी गई है। जैन ग्रंथ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति में सिन्धु नदी का वर्णन मिलता है।

सिन्धु की सहायक नदियां : सिन्धु की पश्चिम की ओर की सहायक नदियों- कुभा, सुवास्तु, कुमु और गोमती का उल्लेख भी ऋग्वेद में है। इस नदी की सहायक नदियां- वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा और शुतुद्री है। इसमें शुतुद्री सबसे बड़ी उपनदी है। शुतुद्री नदी पर ही एशिया का सबसे बड़ा भागड़ा-नांगल बांध बना है। झेलम, चिनाब, रावी, व्यास एवं सतलुज सिन्धु नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं। इनके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियां हैं।

सिन्धु का उद्गम और मार्ग : चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र के मार्ग का उपग्रह से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के साथ भारत-पाकिस्तान से बहने वाली सिन्धु और म्यांमार के रास्ते बहने वाली सालवीन और ईरावती के बहाव के बारे में भी पूरा विवरण जुटाया है।

नए शोध परिणामों के मुताबिक सिन्धु नदी का उद्‍गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। नए शोध के मुताबिक, सिन्धु नदी 3,600 किलोमीटर लंबी है, जबकि पहले इसकी लंबाई 2,900 से 3,200 किलोमीटर मानी जाती थी। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। सिन्धु नदी भारत से होकर गुजरती है लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल भारत-पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है।

पहले माना जाता था कि यह तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक स्थान से सिन्धु नदी निकलती है। यह नदी हिमालय की दुर्गम कंदराओं से गुजरती हुई कश्मीर और गिलगिट से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। सिन्धु भारत से बहती हुई पाकिस्तान में 120 किमी लंबी सीमा तय करती हुई सुलेमान के निकट पाक-सीमा में प्रवेश करती है। पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह नदी कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।

Thursday, 25 August 2016

झांक रहे है देश के दुश्मन अपनी इन दीवारों से। बचकर रहना अपने ही घर में छुपे हुए गद्दारों से।।

रखें कटोरा हरदम ख़ाली पर भर जाती है बोरी।
सारे सागर के जल से नहाके भैस न होती गोरी।।
कुर्सी की लालच कुछ ऐसा अब मांग रहे है चंदा।
झाड़ू लगवै टोपी पर, पर दिल दिमाग है गन्दा।।
सावधान हो जाओ भाई मेरे देश में घुस गए चोर।
पाकिस्तान से साठगांठ कर खुबही मचावत शोर।।
झांक रहे है देश के दुश्मन अपनी इन दीवारों से।
बचकर रहना अपने ही घर में छुपे हुए गद्दारों से।।
एक मकान मालिक ने घर रखवाले को सुपुर्द कर दिया।
रखवाले ने आते ही घर की कमाई को चमचो में लुटाया।
अय्यासी मौजमस्ती संग सिगरेट का धुआं खूब उड़ाया।
बहुत सारे कुत्ते पाले अपने खाया व कुत्तों को खिलाया।
खर्च का आलम ये की कमाई काम पड़ने लगी जब तो।
किसी गैर का घर था इसीलिए उसका सामान बेचावया।
कभी खिड़की कभी दरवाजे तो कभी परदे बेच खाया।
बर्तन बेचे चूल्हा बेचे बिस्तर भी किसी और को दे आया।
सारा सामान बेचने के बाद ईंट पत्थरों का नंबर आया।
यह सब देखकर हैरानी से मकान मालिक खूब घबराया।
संविधान के तहत 2014 में वह मकान खाली करवाया।
इसके बाद एक सम्भ कर्मठ ईमानदार रखवाला आया।
जिसने एक एक कर मकान पुनर्निर्माण का काम चलाया।
घर में नया रखवाला देख कुत्तों ने फिर से सेंध लगाया।
मगर माकन रखवाले ने किसी को एक रोटी नहीं खिलाया।
फिर कुत्तों ने शोर शराबा कर चारों पैर जमीन पर चलाया।
भूक भूक कर सोचा होगा कि अब रखवाला घबराया।
रखवाला भी शेर दिल था इसीलिये जोर से दहाड़ लगाया।
इतने दिनों से हराम की खानेवाले कुत्ते कम कहाँ होते है।
डरने के बाद भी थोड़ी दूरी बना भुकने से कब रुकते है।
यह सब दृश्य देख मकान मालिक को खूब मजा आया।
मालिक जनता मकान भारत में अभी एक रखवाला आया।।

Wednesday, 17 August 2016

अंधविश्वास में उलझा भारत।

हे भारत माँ अपने बच्चों को अंधविस्वास से बचाओ!:--               
              किसी मज़ार पर एक फकीर रहते थे।
सैकड़ों भक्त उस मज़ार पर आकर दान-दक्षिणा चढ़ाते थे।

उन भक्तों में एक बंजारा भी आता था।

वह बहुत गरीब था,

फिर भी, नियमानुसार आकर माथा टेकता,

फकीर की सेवा करता,
और
फिर अपने काम पर जाता,
उसका कपड़े का व्यवसाय था,
कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर लिए सुबह से लेकर शाम तक गलियों गलियों में फेरी लगाता,
कपड़े बेचता।

एक दिन उस फकीर को उस
पर दया आ गई,
उसने अपना गधा उसे भेंट कर दिया।

अब तो बंजारे की आधी समस्याएं हल हो गईं।
वह सारे कपड़े गधे पर लादता और जब थक जाता
तो
खुद भी गधे पर बैठ जाता।

यूं ही कुछ महीने बीत गए,,

एक दिन गधे की मृत्यु हो गई।

बंजारा बहुत दुखी हुआ,
उसने उसे उचित स्थान पर दफनाया,
उसकी कब्र बनाई
और
फूट-फूट कर रोने लगा।

समीप से जा रहे किसी व्यक्ति ने
जब यह दृश्य देखा,
तो सोचा
जरूर किसी संत की मज़ार होगी।
तभी यह
बंजारा यहां बैठकर अपना दुख रो रहा है।
यह सोचकर उस व्यक्ति ने कब्र पर
माथा टेका और अपनी मन्नत हेतु वहां प्रार्थना की कुछ पैसे चढ़ाकर वहां से चला गया।

कुछ दिनों के उपरांत ही उस
व्यक्ति की कामना पूर्ण हो गई। उसने
खुशी के मारे सारे गांव में
डंका बजाया कि अमुक स्थान पर एक पूर्ण फकीर की मज़ार है।
वहां जाकर जो अरदास करो वह पूर्ण होती है।
मनचाही मुरादे बख्शी जाती हैं वहां।

उस दिन से उस कब्र पर
भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया।

दूर-दराज से भक्त अपनी मुरादे बख्शाने वहां आने लगे।
बंजारे की तो चांदी हो गई,

बैठे-बैठे उसे कमाई
का साधन मिल गया था।

एक दिन वही फकीर
जिन्होंने बंजारे
को अपना गधा भेंट स्वरूप
दिया था वहां से गुजर रहे थे।

उन्हें देखते ही बंजारे ने उनके चरण पकड़ लिए और बोला-
"आपके गधे ने
तो मेरी जिंदगी बना दी। जब तक जीवित था
तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद करता था
और
मरने के बाद
मेरी जीविका का साधन बन
गया है।"

फकीर हंसते हुए बोले,
"बच्चा!
जिस मज़ार
पर तू नित्य माथा टेकने आता था,

वह मज़ार इस गधे की मां की थी।"

बस यूही चल रहा है मेरा भारत महान ।

राजा विक्रमादित्य का एक छोटा सा जीवन परिचय।

कौन थे राजा वीर विक्रमादित्य..... ????
    क्या राजा विक्रमादित्य का इतिहास पढ़ाने से देश कम्यूनल हो जाता...?? देश की संस्कृति को नष्ट करने वालो को फिर से देश में राज करने देना चाहिए...?? एक बार पढ़े फिर उत्तर दे।
      बड़े ही शर्म की बात है कि महाराज विक्रमदित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था

       उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...
        बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ,

      आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमदित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
     भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे

     रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
       विक्रमदित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
      हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमदित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है

       महाराज विक्रमदित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमदित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमदित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे ।

       हिन्दू कैलंडर भी विक्रमदित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे ,
विक्रमदित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमदित्य का काल राम राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी

      पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में अंग्रेजी मानसिकता के गुलाम शासको के शासनकाल में लिखित इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है, कृपया आप शेयर तो करें ताकि देश जान सके कि सोने की चिड़िया वाला देश का राजा कौन था ?

Tuesday, 16 August 2016

छात्र जीवन से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण बातें।

छात्र जीवन से गृहस्थ जीवन में कुछ अर्थपूर्ण बदलाव होते है अन्यथा सारी उम्र तो हर कोई सीखता है।

- इंसान के अंदर पल रही ईर्ष्या और अहम न तो हमें सीखने देता है और न सिखाने देता है।

- जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है  इसकी आदत बना लें।

-   लोग तुम्हारे स्वाभिमान की  परवाह नहीं करते इसलिए पहले खुद को  साबित करके दिखाए।

- कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद  5 आंकड़े वाली  पगार  की मत सोचें, एक रात में कोई  वाइस प्रेसिडेंट नहीं बनता, इसके लिए अपार मेहनत पड़ती है।

- अभी आपको अपने शिक्षक सख्त और डरावने लगते होंगे  क्योंकि अभी तक आपके जीवन में  बॉस नामक प्राणी से पाला नहीं पड़ा।

- तुम्हारी गलती सिर्फ तुम्हारी है तुम्हारी पराजय सिर्फ तुम्हारी है किसी को दोष मत दो इस गलती से सीखो और आगे बढ़ो।

- तुम्हारे माता पिता तुम्हारे जन्म से पहले इतने निरस और ऊबाऊ नही थे जितना तुम्हें अभी लग रहा है, तुम्हारे पालन पोषण करने में उन्होंने इतना कष्ट उठाया कि उनका स्वभाव बदल गया।

- सांत्वना पुरस्कार सिर्फ स्कूल में  देखने मिलता है, कुछ स्कूलों में तो  पास होने तक  परीक्षा दी जा सकती है, लेकिन बाहर की दुनिया के नियम अलग हैं वहां हारने वाले को मौका नहीं मिलता।

– जीवन के स्कूल में  कक्षाएं और वर्ग नहीं होते और वहां महीने भर की छुट्टी नहीं मिलती, आपको सिखाने के लिए कोई समय नहीं देता, यह सब आपको खुद करना होता  है।

– टी वी का जीवन सही नहीं होता और जीवन टी वी  के सीरियल नहीं होते, सही जीवन में आराम नहीं होता सिर्फ काम और सिर्फ काम होता है।

– लगातार पढ़ाई करने वाले और कड़ी मेहनत करने वाले अपने मित्रों को कभी मत चिढ़ाओ, एक समय ऐसा आएगा कि तुम्हें उसके नीचे काम करना पड़ेगा।

एक सत्य...

क्या आपने कभी ये विचार किया कि..

लग्जरी क्लास कार
(Jaguar, Hummer, BMW, Audi, Ferrari Etc.) का किसी TV चैनल पर कभी कोई विज्ञापन क्यों नही दिखाया जाता ??
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कारण यह कि उन कार कंपनी वालों को ये पता है कि...
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ऐसी कार लेने वाले व्यक्ति के पास TV के सामने बैठने का फालतू समय नहीं होता..।

Sunday, 14 August 2016

क्रांतिकारी बलिदान हुए सत्ता मिली दलालों को।

घनधोर काली घटा छाई थी बादलों में बिजलियां चमक रही थी, खूब घड़ घड़घड़ाहट की आवाज के साथ वर्षा ऐसी हो रही थी कि सामने दो मीटर भी देखना मुश्किल था, ऊपर मुँह किये तो तेज बुँदे चेहरा लाल कर जाती, ऐसी स्थिति में जिधर देखो उधर पानी पानी ही नजर आ रहा था, कही एक इंच भी जमीन नहीं दिख रही थी, बहुत से जीव बाढ़ में बह गए, कुछ संघर्ष कर पानी निकाल रहे थे कुछ डरपोक बचे वे किसी पेड़ पर शरण लिए हुए थे। पेड़ ऐसा था जिसपर साँप बन्दर और इंसान ने शरण ले रखा था। कुछ ऐसा ही मन्जर था सन 1947 की आजादी का...। बात इसके आगे की बोलू एक कहानी याद आ गई कि एक लड़का था रोज रोज माँ से पैसे ले जाता था, बड़े मजे से खर्च कर आता था, कभी मोबाइल, कभी लैपटॉप, कभी कपड़े तो कभी बाइक की मांग करता माँ बाप अच्छे थे, मांगे मान लेते थे, मगर मांगे ऐसी की कभी कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी, एक के बाद एक मानो सारी दुनियां खरीदने की तमन्ना हो बेटे में, एक दिन पिता ने सोचा कि इस कदर तो बेटा बरबाद हो जायेगा, अचानक से बेटे ने एक लाख वाली बाइक खरीदने की मांग लगा दी तो पिता बोला ठीक है कल तुम दो सौ रुपये कमा कर ले आओ तो परसों मैं बाइक खरीद दूँगा, बेटा भी सोचा इसमे कौन सी बड़ी बात, अगले दिन कमाने के लिए निकल गया, देखा एक जगह मकान का निर्माण हो रहा था, निर्माण कराने वाले से काम माँगा तो आसानी से काम भी मिल गया और शाम तक दो सौ रुपये देने की बात भी हो गई, शाम उस दिन की ऐसी कि हो ही नहीं रही थी ऊपर से भूख जोरों की परन्तु बाइक की लगन थी तो किसी न किसी तरह समय गुजार ली बेटे ने, जब दो सौ रूपया लेकर घर पंहुचा तो अपनी शर्त पूरी करते हुए बोला ले आओ एक लाख। तो पिता बोला ठीक है पहले ये दो सौ रुपये तुम कुँए में डाल आओ, बेटा पैसा लिए कुँए के पास गया कभी हाथ देखता कभी पैसा मगर खुद की कमाई थी इसलिये कुँए में डालना आसान नहीं था और डाल भी नहीं पाया पैसा वापस लेकर आया और बोला आज मैं समझ गया पैसे का महत्व आज के बाद से मैं भी कमाऊँगा।

काश ऐसा ही कोई पिता मिल गया होता अंग्रेजो से आजादी की बात करनेवालों को तो समझ में आ गया होता कि आजादी के लिए कितनो ने गोलिया खाई कितने चढ़ गए फांसी पर मगर ना तो उन्होंने ना उनकी माओं में आंख में आशू भरे अगर आंशू आ जाते तो बचे क्रांतिकारियों के हौसले पस्त हो जाते, मगर जिन्हें यह ज्ञात की आजादी चरखे से आई या आंदोलन से उन्हें ही  एहसास है आजादी का अर्थ। अब बातें पेड़ पर जान बचाते सांप बन्दर और इंसान की तो सांप ने बाढ़ का फायदा उठा पाकिस्तान के नाम पर भारत को अलग करवाया जो इंसान उस डाल पर थे वे तो बाढ़ की डर से छिपे बैठे थे जिन्होंने सांपो की बात मानी, उन्हें क्या बता बाढ़ में संघर्ष कर कितनो ने अपनी जान की बाजी लगा धरती को खाली कराया है। खाली करनेवाले वेचारे गुम सुधा हो गए और डाल पर जान बचानेवालों ने देश का सौदा कर लिया। बंदरों ने भी कम चाल नहीं चली, मुफ्तखोर इंसानो के साथ मिल खूब दलाली खाई कोई लेखक बन कोई व्यापारी, तो कोई ठेकेदार,कलाकार आदि मगर जिन्होंने गोली खायी पहली बार एक ऐसी सरकार आयी, जिसे उन क्रांतिकारियों की याद आयी, वर्ना देश कर्जदार हो गया था एक खासमखास असभ्य समाज का जिनमें न कोई नीति थी न कोई धर्म, एक ही कार्य था इनलोगों का कि करो घोटाला बनाओ धन।
    उस लड़के की तरह बात भी इन लोगो को समझ में बात आ जाती कि आजादी का अर्थ क्या होता है? आज सत्तर साल हो गए न तो आरक्षण हट पाया और न उचित संविधान बन पाया। देश में दो दो संविधान चलते है। किसी पी एम ने इतनी हिम्मत भी जुटाई कि पी ओ के की बात भी कर पाएं। बड़ी खुशी की बात है कि श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पहली बार कही कि पी ओ के भारत का अंग है। एक पाकिस्तानी सरकार है हराम की मिली हिंदुस्तान की धरती हजम नहीं हो रही और चाहिए और चाहिए हरामजादों को। यदि पहली बार ही हराम की धरती नहीं दी गयी होती तो क्या हमारे क्रांतिकारियों में इतना दम नहीं था कि देश आज़ाद करा पाते...? खूब आसानी से करा लेते अंग्रेज जिनसे भय खाते थे, उनसे तो बातें ही नहीं कर पाते थे। अगर कुछ गद्दारो ने दख़ल नहीं दिया होता तो अंग्रेज भय बस खुद ही बग़ैर बताये भाग जाते। मगर जो कुछ हुआ अब उसे बदलना संभव नहीं, मगर जो कुछ बरबाद होने वाला है उसे तो रोका जा सकता है। अब तो सत्तर साल बीत गए अब और समय नहीं बरबाद होने चाहिए। कुशल नेतृत्व चुनने की आदत बनाएं, और देश को सही ढंग से भ्रस्टाचार, अत्याचार, गरीबी और अशिक्षा आदि से आजादी दिलाएं।
              !!जय हिन्द जय भारत!!