जो अमूल्य वस्तु आपको प्रकृत से मिली है उसका आपको एहसास नहीं, इसीलिये आप सदैव दूसरों से कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते है, क्योंकि आप इस धरती के है ही नहीं और धरती पर रहना चाहते है तो आपको रहने की इस चाहत की वजह से, प्रकृत द्वारा प्रदान की हुई अमूल्य वस्तु में से कुछ न कुछ गवाना पड़ता है। सीधी सी बात है इस दुनियां में मुफ्त कुछ भी नहीं मिलता, बीबी बच्चे भाई बंधू दोस्त हो या राशन कपड़ा मोटर गाड़ी टी वी मोबाइल या जल फल स्वास के लिए वायु आदि। कहते है कि क्या आप 100 रुपये का नोट खरीद सकते हो तो चकित ना होए आप खरीद सकते हो बस सौ रुपये की जगह 101 या 200 रुपये कुछ भी देना पड़ सकता है। मगर आपकी चाहत पूरी अवश्य होगी। यही चाहत ही आपके पतन का कारण है। यह बात समझना या समझना इतना आसान नहीं जितना मैं सोच रहा हूँ, मगर प्रयास तो करना ही चाहिए।
चाहत ही है जो हमें अपने होने वाले पतन को देखने नहीं देती जैसे जब हम पानी पीते है तो सोचते है कोई कीमत अदा नहीं की गई मगर जो कीमत आपने अदा की वह दिखी नहीं, क्योंकि पानी के साथ प्रकृत के बनाएं हुए कितने किटाडु आपके अंदर जीवन यापन करने के लिए प्रवेश किये, जीतनी देर पानी पिया उतनी उम्र कम हुई आदि वह नहीं दिखा। उसी तरह वायु हो या फल सबके सब कुछ न कुछ कीमत लेते है तो फिर इंसान या जानवर से कुछ लेंगे तो वह कीमत क्यों नहीं लेगा..? लेगा मगर आपको एहसास होने नहीं देगा और यही एहसास नहीं होने से आपका पतन एश्वर्य से होता है अन्यथा आप खुद ही भगवान है। समझ में नहीं आया तो यह कहानी पढ़े, शायद आपने पढ़ी भी हो।
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I
वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?
संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा"
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"
आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l
उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..
उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l
आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l
जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l
फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"
वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l
अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध बोले : संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l
सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l
आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l
अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l
तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत से लगाएगा।
घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।
अब अगर आप अपनी कीमत समझ गए हो तो स्वार्थ लालच चाहत से जितना दूर होंगे उतना कम ठगे जाएंगे, और ठगता कौन है जिसने आपसे अधिक यहाँ भौतिक वस्तुओँ का भण्डारण कर रखा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह आपसे श्रेष्ठ है, श्रेष्ठ तो वह है जिसने प्रकृत से मिले हुए खजाने को बचा रखा है।
इस धरती पर जीवित रहने मात्र से आपको लेना पड़ता है मगर ऐसा नहीं कि आपका एश्वर्य इससे कम होगा, आप खुलकर जीवन यापन करें..! यहाँ लेने वाले सिर्फ आप ही नहीं है जैसे आप दूसरों से लेते है वैसे ही दूसरे भी आप से लेते है, और जब आप दूसरों को देते है तो आपका एश्वर्य वापस आता है। सोचने समझने की बात यह है कि जीवन में लेना थोड़ देना ज्यादा होना चाहिए।
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