Wednesday, 21 September 2016

आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की। ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।

आज़ादी दिलवाने वालों के अब भी है पूत यहाँ।
भारत की ही धरती है आबाद है पाकिस्तान जहाँ।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।
कुछ अणु बम बनाकर अब फूल रहा है पाकिस्तान।
ग़लती पर ग़लती करता मिट जाएगा नामो निशान।।
हिन्दुस्तांन की आज़ादी में क़ुरबानी को वह भूल रहा।
कुछ हथियार इकठ्ठा कर ख़ुद ही सपनो में झूल रहा।।
हिंदुस्तान की धरती पर उसको वीरों की याद नहीं।
परास्त करके सुनी मोहम्मद गोरी की फ़रियाद यही।।
खुद भी जब युद्ध किया तो हर बार हार का रस चीखा।
मगर माफ़ी देने से इस पाकिस्तान का होता मुँह फीका।।
कश्मीर का सपना पाले हिन्दुस्तान से ही जल जायेगा।
ये पड़ोस के क़ाबिल कहाँ अब बलूचिस्तान ही आयेगा।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।

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