हम भारतीय शेर का शिकार करनेवाले कभी कुत्तों को नहीं संघारे है।
दुश्मन जो सीना तानकर खड़ा हो मैदान में हम सदा उसी को मारे है।।
महिलाओं पर अत्याचार करनेवाले मर्दो की संगत क्या निभाएंगे।
जो कभी मुर्दा भी जला नहीं सकते वे हमें जिन्दा क्या जलाएंगे।।
हिन्दुस्तान की दया पर जिन्दा रहनेवालों तुम्हारे पास ना पानी है।
जितनी बार युद्ध किये हारे हो हर बार उसी की याद दिलानी है।।
कमर के नीचे तुम्हें जब भी देखा है तेरी तो पोशाक जनानी है।
पुरुषों के गुण नहीं तुझमें बिना मूछ के नारी यही तेरी कहानी है।।
हमने तुम्हे जितनी बार समझाया तू हर बार थोड़ा बहुत शर्माया।
निर्लज्ज हो तुम इतना कि मेरी दी हुई इज्जत तुझे रास ना आया।।
जैसे तुझे पाला पड़ोस में वैसे ही अपने देश में कुछ कुत्ते पाले है।
बखूबी हमें पहचान है उनकी जिन्हें तुमने कुछ हड्डियां डाले है।।
जब तक भूकता कुत्ता तब तक परवाह हम हिन्दुस्तानी नहीं करते।
मगर जब भूकते हुए नज़दीक आ जाये तभी हम वार है करते।।
कुत्ते भय से खुद भागके मरते जब क्रोधित होता हिन्दुस्तानी है।
कुत्ते हम कभी मारा नहीं करते ये हर हिंदुस्तानी की कहानी है।।
वे क्या लडेंगे हमसे जिन्होंने सीखा मुर्गे से सुबह उठ बाग़ लगाना।
हम मूछ का सम्मान करते है नहीं सीखा बकरों सा दाढ़ी बढ़ाना।।
तुम्हारी लड़ाई सूअर से जो तुमसे अधिक बच्चे पैदा कर लेती है।
हमें हर हाल में प्रेरणा हमारी भारत माँ या गऊ माता ही देती है।।
Thursday, 29 September 2016
पाकिस्तान
Thursday, 22 September 2016
प्रकृत से मिली हुई ब्रह्माण्ड की संपूर्ण शक्ति को महसूस करें.!
जो अमूल्य वस्तु आपको प्रकृत से मिली है उसका आपको एहसास नहीं, इसीलिये आप सदैव दूसरों से कुछ न कुछ प्राप्त करना चाहते है, क्योंकि आप इस धरती के है ही नहीं और धरती पर रहना चाहते है तो आपको रहने की इस चाहत की वजह से, प्रकृत द्वारा प्रदान की हुई अमूल्य वस्तु में से कुछ न कुछ गवाना पड़ता है। सीधी सी बात है इस दुनियां में मुफ्त कुछ भी नहीं मिलता, बीबी बच्चे भाई बंधू दोस्त हो या राशन कपड़ा मोटर गाड़ी टी वी मोबाइल या जल फल स्वास के लिए वायु आदि। कहते है कि क्या आप 100 रुपये का नोट खरीद सकते हो तो चकित ना होए आप खरीद सकते हो बस सौ रुपये की जगह 101 या 200 रुपये कुछ भी देना पड़ सकता है। मगर आपकी चाहत पूरी अवश्य होगी। यही चाहत ही आपके पतन का कारण है। यह बात समझना या समझना इतना आसान नहीं जितना मैं सोच रहा हूँ, मगर प्रयास तो करना ही चाहिए।
चाहत ही है जो हमें अपने होने वाले पतन को देखने नहीं देती जैसे जब हम पानी पीते है तो सोचते है कोई कीमत अदा नहीं की गई मगर जो कीमत आपने अदा की वह दिखी नहीं, क्योंकि पानी के साथ प्रकृत के बनाएं हुए कितने किटाडु आपके अंदर जीवन यापन करने के लिए प्रवेश किये, जीतनी देर पानी पिया उतनी उम्र कम हुई आदि वह नहीं दिखा। उसी तरह वायु हो या फल सबके सब कुछ न कुछ कीमत लेते है तो फिर इंसान या जानवर से कुछ लेंगे तो वह कीमत क्यों नहीं लेगा..? लेगा मगर आपको एहसास होने नहीं देगा और यही एहसास नहीं होने से आपका पतन एश्वर्य से होता है अन्यथा आप खुद ही भगवान है। समझ में नहीं आया तो यह कहानी पढ़े, शायद आपने पढ़ी भी हो।
एक आदमी ने भगवान बुद्ध से पुछा : जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध ने उसे एक Stone दिया और कहा : जा और इस stone का
मूल्य पता करके आ , लेकिन ध्यान रखना stone को बेचना नही है I
वह आदमी stone को बाजार मे एक संतरे वाले के पास लेकर गया और बोला : इसकी कीमत क्या है?
संतरे वाला चमकीले stone को देखकर बोला, "12 संतरे लेजा और इसे मुझे दे जा"
आगे एक सब्जी वाले ने उस चमकीले stone को देखा और कहा
"एक बोरी आलू ले जा और इस stone को मेरे पास छोड़ जा"
आगे एक सोना बेचने वाले के
पास गया उसे stone दिखाया सुनार उस चमकीले stone को देखकर बोला, "50 लाख मे बेच दे" l
उसने मना कर दिया तो सुनार बोला "2 करोड़ मे दे दे या बता इसकी कीमत जो माँगेगा वह दूँगा तुझे..
उस आदमी ने सुनार से कहा मेरे गुरू ने इसे बेचने से मना किया है l
आगे हीरे बेचने वाले एक जौहरी के पास गया उसे stone दिखाया l
जौहरी ने जब उस बेसकीमती रुबी को देखा , तो पहले उसने रुबी के पास एक लाल कपडा बिछाया फिर उस बेसकीमती रुबी की परिक्रमा लगाई माथा टेका l
फिर जौहरी बोला , "कहा से लाया है ये बेसकीमती रुबी? सारी कायनात , सारी दुनिया को बेचकर भी इसकी कीमत नही लगाई जा सकती ये तो बेसकीमती है l"
वह आदमी हैरान परेशान होकर सीधे बुद्ध के पास आया l
अपनी आप बिती बताई और बोला "अब बताओ भगवान , मानवीय जीवन का मूल्य क्या है?
बुद्ध बोले : संतरे वाले को दिखाया उसने इसकी कीमत "12 संतरे" की बताई l
सब्जी वाले के पास गया उसने इसकी कीमत "1 बोरी आलू" बताई l
आगे सुनार ने "2 करोड़" बताई lऔर जौहरी ने इसे "बेसकीमती" बताया l
अब ऐसा ही मानवीय मूल्य का भी है l
तू बेशक हीरा है..!!लेकिन, सामने वाला तेरी कीमत,
अपनी औकात - अपनी जानकारी - अपनी हैसियत से लगाएगा।
घबराओ मत दुनिया में.. तुझे पहचानने वाले भी मिल जायेगे।
अब अगर आप अपनी कीमत समझ गए हो तो स्वार्थ लालच चाहत से जितना दूर होंगे उतना कम ठगे जाएंगे, और ठगता कौन है जिसने आपसे अधिक यहाँ भौतिक वस्तुओँ का भण्डारण कर रखा है, इसका मतलब यह नहीं कि वह आपसे श्रेष्ठ है, श्रेष्ठ तो वह है जिसने प्रकृत से मिले हुए खजाने को बचा रखा है।
इस धरती पर जीवित रहने मात्र से आपको लेना पड़ता है मगर ऐसा नहीं कि आपका एश्वर्य इससे कम होगा, आप खुलकर जीवन यापन करें..! यहाँ लेने वाले सिर्फ आप ही नहीं है जैसे आप दूसरों से लेते है वैसे ही दूसरे भी आप से लेते है, और जब आप दूसरों को देते है तो आपका एश्वर्य वापस आता है। सोचने समझने की बात यह है कि जीवन में लेना थोड़ देना ज्यादा होना चाहिए।
Wednesday, 21 September 2016
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की। ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।
आज़ादी दिलवाने वालों के अब भी है पूत यहाँ।
भारत की ही धरती है आबाद है पाकिस्तान जहाँ।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।
कुछ अणु बम बनाकर अब फूल रहा है पाकिस्तान।
ग़लती पर ग़लती करता मिट जाएगा नामो निशान।।
हिन्दुस्तांन की आज़ादी में क़ुरबानी को वह भूल रहा।
कुछ हथियार इकठ्ठा कर ख़ुद ही सपनो में झूल रहा।।
हिंदुस्तान की धरती पर उसको वीरों की याद नहीं।
परास्त करके सुनी मोहम्मद गोरी की फ़रियाद यही।।
खुद भी जब युद्ध किया तो हर बार हार का रस चीखा।
मगर माफ़ी देने से इस पाकिस्तान का होता मुँह फीका।।
कश्मीर का सपना पाले हिन्दुस्तान से ही जल जायेगा।
ये पड़ोस के क़ाबिल कहाँ अब बलूचिस्तान ही आयेगा।।
आज़ादी अंग्रेजो से ली अब बारी है पाकिस्तान की।
ये चाहत मेरी ही नहीं है चाहत भारत के आवाम की।।
Sunday, 4 September 2016
सिन्धु नदी के बिना हिन्दू वैसा ही है जैसे जल बिन मीन, प्राण बिन शारीर।
भारत का विभाजन हुआ और संपूर्ण सिन्धु नदी पाकिस्तान को मिल गई और उससे जुड़ी संपूर्ण संस्कृति और धर्म को अब नष्ट कर दिया गया है। सिन्धु के बिना हिन्दू वैसे ही है, जैसे प्राण के बिना शरीर, अर्थ के बिना शब्द हैं। गंगा से पहले हिन्दू संस्कृति में सिन्धु और सरस्वती की ही महिमा थी। सिन्धु से ही हिन्दुओं का इतिहास है। सिन्धु का अर्थ जलराशि होता है। सिन्धु नदी का भारत और हिन्दू इतिहास में सबसे ज्यादा महत्व है। इसे इंडस कहा जाता है इसी के नाम पर भारत का नाम इंडिया रखा गया।
3,600 किलोमीटर से ज्यादा लंबी और कई किलोमीटर चौड़ी इस नदी का उल्लेख वेदों में अनेक स्थानों पर है। इस नदी के किनारे ही वैदिक धर्म और संस्कृति का उद्गम और विस्तार हुआ है। वाल्मीकि रामायण में सिन्धु को महानदी की संज्ञा दी गई है। जैन ग्रंथ जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति में सिन्धु नदी का वर्णन मिलता है।
सिन्धु की सहायक नदियां : सिन्धु की पश्चिम की ओर की सहायक नदियों- कुभा, सुवास्तु, कुमु और गोमती का उल्लेख भी ऋग्वेद में है। इस नदी की सहायक नदियां- वितस्ता, चन्द्रभागा, ईरावती, विपासा और शुतुद्री है। इसमें शुतुद्री सबसे बड़ी उपनदी है। शुतुद्री नदी पर ही एशिया का सबसे बड़ा भागड़ा-नांगल बांध बना है। झेलम, चिनाब, रावी, व्यास एवं सतलुज सिन्धु नदी की प्रमुख सहायक नदियां हैं। इनके अतिरिक्त गिलगिट, काबुल, स्वात, कुर्रम, टोची, गोमल, संगर आदि अन्य सहायक नदियां हैं।
सिन्धु का उद्गम और मार्ग : चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) के वैज्ञानिकों ने ब्रह्मपुत्र के मार्ग का उपग्रह से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के साथ भारत-पाकिस्तान से बहने वाली सिन्धु और म्यांमार के रास्ते बहने वाली सालवीन और ईरावती के बहाव के बारे में भी पूरा विवरण जुटाया है।
नए शोध परिणामों के मुताबिक सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर-पूर्व से होता है। नए शोध के मुताबिक, सिन्धु नदी 3,600 किलोमीटर लंबी है, जबकि पहले इसकी लंबाई 2,900 से 3,200 किलोमीटर मानी जाती थी। इसका क्षेत्रफल 10 लाख वर्ग किलोमीटर से भी ज्यादा है। सिन्धु नदी भारत से होकर गुजरती है लेकिन इसका मुख्य इस्तेमाल भारत-पाक जल संधि के तहत पाकिस्तान करता है।
पहले माना जाता था कि यह तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब नामक स्थान से सिन्धु नदी निकलती है। यह नदी हिमालय की दुर्गम कंदराओं से गुजरती हुई कश्मीर और गिलगिट से होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है। सिन्धु भारत से बहती हुई पाकिस्तान में 120 किमी लंबी सीमा तय करती हुई सुलेमान के निकट पाक-सीमा में प्रवेश करती है। पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में बहती हुई यह नदी कराची के दक्षिण में अरब सागर में गिरती है।